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________________ ५-गुणस्थान २५५ २-गुणस्थानाधिकार १), दूसरे का २), तीसरे का ३), इस प्रकार एक एक बढ़ते हुए १६२ वें आदमी का वेतन १६२) है । और महकमे नं. २ में १६६ आदमी काम करते हैं, उनमें से पहिले आदमी का वेतन ४०) है, द्वितीयादि का एक एक रूपया क्रम से बढ़ता हुआ होने से १६६ वें आदमी का वेतन २०५ है । महकमें नं ३ में १७० आदमी काम करते हैं. सो उनमें से पहले आदमी का वेतन ८०) है और दूसरे तीसरे आदि आदमियों का एक एक रुपया बढ़ते बढ़ते १७० वें आदमी का वेतन २४१) है । महकमें नं० ४ में १७४ आदमी काम करते हैं, सो पहले आदमी का वेतन १२६) है और दूसरे आदि का एक एक रुपया बढ़ते बढ़ते १७४ वें आदमी का वेतन २१४) होता है । इसी क्रम से १६ वें महकमे में जो २२२ नौकर हैं, उनमें से पहले का वेतन ६६१) है और २२२ व आदमी का वेतन ६१२) है। इस दृष्टान्त में पहिले ३६ आदमियों का वेतन ऊपर के महकमें में किसी भी आदमी से नहीं मिलता, तथा आखिर के ५७ आदमियों का वेतन नीचे के महकमे के किसी भी आदमी के साथ नहीं मिलता है । शेष वेतन ऊपर नीचे के महकमों के वेतनों के साथ यथा सम्भव सदृश भी हैं, इसी प्रकार यथार्थ में उपर के समय सम्बन्धी परिणामों में सदृशता यथा सम्भव जाननी । इसका विशेष स्वरूप गोमट टसारजी के गुणस्थान अधिकार में तथा छपे हुए सुशीला उपन्यास के २४७ वे पृष्ठ से लगाकर २६३ व पृष्ठ तक में देखना। (५४) सातवें गुणस्थान में बन्ध कितनी प्रकृतियों का होता है ? छट्टे गुणस्थान में जो ६३ प्रकृतियों का बन्ध कहा है, उनमें से व्युच्छिन्न प्रकृति ६ के घटाने पर शेष रही ५७ में आहारकशरीर और आहारक अंगोपांग (जो अबन्ध रूप थीं) इन दो प्रकृ तियों को मिलाने से ५६ प्रकृतियों का बन्ध होता है। (५५) सातवें गुणस्थान में उदय कितनी प्रकृतियों का होता है ? छटे गुणस्थान में जो ८१ प्रकृतियों का उदय कहा है, उनमें से
SR No.010310
Book TitleJain Siddhanta Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKaushal
PublisherDeshbhushanji Maharaj Trust
Publication Year
Total Pages386
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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