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________________ २२५ ४-भाव व मार्गणा २-मार्गणाधिकार हो उसको अप्रतिष्ठित प्रत्येक कहते हैं। ४६. वनस्पति में साधारण काय जीव होते हैं या अन्यत्र भी ? वनस्पति से अतिरिक्त अन्य सर्व स्थावर व वस जीव प्रत्येक ही होते हैं साधारण नहीं। ४७. साधारण वनस्पति के सूक्ष्म व बादर भेद कौन से हैं ? सूक्ष्म साधारण जीव इस लोक में सर्वत्र ठसाठस भरे हुए हैं। सूक्ष्म होने से व्यवहार गम्य नहीं, फिर भी वनस्पति काय के माने गए हैं । बादर साधारण जीव सप्रतिष्ठित प्रत्येक शरीरों के आश्रित ही रहते हैं; स्वतंत्र नहीं। (४८) साधारण वनस्पति सप्रतिष्ठित प्रत्येक वनस्पति में ही होते हैं या और भी कहीं होते हैं ? पथ्वी, अप, तेज, वायु, केवली भगवान, आहारक शरीर (तीर्थकरों का परम औदारिक शरीर), देव, नारकी इन आठ के सिवाय सब संसारी (वस व स्थावर) जीवों के शरीर साधा रण अर्थात निगोद के आश्रय हैं (सप्रतिष्ठित प्रत्येक है)। ४६. निगोद किसे कहते हैं ? साधारण जीवों के शरीर को निगोद कहते हैं, क्योंकि वह अनन्तों जीवों का एक सा फला शरीर होता है; जिसमें प्रत्येक जीव सर्वत्र व्यापक र रहता है। वे सभी जीव इस शरीर में एक साथ जन्मते हैं, एक साथ श्वास लेते हैं और एक साथ ही मरते हैं। (५०) साधारण वनस्पति (निगोद) के कितने भेद हैं ? दो भेद हैं----एक नित्य निगोद और दूसरा इतर निगोद । (५१) नित्य निगोद किसको कहते हैं ? जिसने कभी भी (आज तक) निगोद के सिवाय दूसरी पर्याय नहीं पाई अथवा जिसने कभी भी निगोद के सिवाय दूसरी पर्याय न तो पाई और न पावेगा उसको नित्य निगोद कहते हैं।
SR No.010310
Book TitleJain Siddhanta Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKaushal
PublisherDeshbhushanji Maharaj Trust
Publication Year
Total Pages386
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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