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________________ २-द्रव्य गुण पर्याय १५३ ५-पर्यायाधिकार जैसे मुक्तात्मा के ज्ञान गुण की केवल ज्ञान पर्याय तथा परमाणु के इस गुण को तद्योग्य सूक्ष्म पर्याय । २३. विभाव गुण पर्याय किसे कहते हैं ? अशुद्ध द्रव्यों के गुणों की पर्याय को विभाव गुण पर्याय कहते हैं; जैसे संसारी आत्मा के ज्ञान गुण की मति ज्ञान पर्याय और स्कन्ध के रस गुण की मीठी पर्याय । (३. अर्थ व व्यंजन पर्याय ) (२४) पर्याय किसे कहते हैं ? गण के विकार को पर्याय कहते हैं। २५. विकार अर्थात क्या ? यहां विकार का अर्थ विकृत भाव ग्रहण न करना । इसका अर्थ है विशेष कार्य अर्थात गुण की परिणति से प्राप्त अवस्था विशेष । (२६) पर्याय के कितने भेद हैं ? दो हैं--व्यञ्जन पर्याय और अर्थ पर्याय (या द्रव्य पर्याय व गुण पर्याय) (२७) व्यञ्जन पर्याय किसे कहते हैं ? प्रदेशत्व गुण के विकार को व्यञ्जन पर्याय कहते हैं। २८. प्रवेशत्व गुण के विकार से क्या समझे ? द्रव्य का आकार ही प्रदेशत्व गुण का विकार या विशेष कार्य है; जैसे मनुष्य पर्याय का दो हाथ पैर वाला आकार । २६. द्रव्य पर्याय व व्यञ्जन पर्याय में क्या अन्तर है ? दोनों एकार्थ वाची हैं, क्योंकि दोनों का सम्बन्ध प्रदेशत्व गुण (३०) व्यञ्जन पर्याय के कितने भेद हैं? दो हैं--स्वभाव व्यञ्जन पर्याय और बिभाव व्यञ्जन पर्याय । (३१) स्वभाव व्यञ्जन पर्याय किसे कहते हैं ? बिना दूसरे निमित्त से जो व्यञ्जन पर्याय हो उसे स्वभाव
SR No.010310
Book TitleJain Siddhanta Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKaushal
PublisherDeshbhushanji Maharaj Trust
Publication Year
Total Pages386
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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