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________________ २- द्रव्य गुण पर्याय १५२ १४. द्रव्य पर्याय कितने प्रकार की होती है ? दो प्रकार की - स्वभाव द्रव्य पर्याय व विभाव द्रव्य पर्याय १५. स्वभाव व विभाव अर्थात् क्या ? जो बिना किसी दूसरे पदार्थ की अपेक्षा किये द्रव्य में स्वतः व्यक्त हो वह स्वभाव होता है और पर संयोग के निमित्त से प्रगट हो सो विभाव कहलाता है । स्वभाव शुद्ध होता है और विभाव अशुद्ध । १६. स्वभाव द्रव्य पर्याय किसे कहते हैं ? ५ - पर्यायाधिकार शुद्ध द्रव्यों के आकार को स्वभाव द्रव्य पर्याय कहते हैं; जैसे मुक्तात्मा का अथवा धर्मास्तिकाय का आकार । १७. विभाव द्रव्य पर्याय किसे कहते हैं ? अनेक द्रव्यात्मक संयोगी आकार को विभाव द्रव्य पर्याय कहते हैं, जैसे शरीरधारी संसारी जीव का आकार या स्कन्ध । १८. एक द्रव्यात्मक होने से स्वभाव द्रव्य पर्याय नहीं होती ? नहीं, होती है, क्योंकि वह भी अनेक प्रदेश प्रचय रूप है । १६. क्रिया व परिस्पन्दन को द्रव्य पर्याय कहना ठीक नहीं ? ठीक है, साधारणतः उसे द्रव्य पर्याय न कहकर क्रियावती शक्ति की पर्याय कह दिया जाता है, पर वास्तव में वह भी द्रव्य पर्याय ही है । कारण कि एक तो वह प्रदेशों में प्रदेश प्रचयरूप सम्पूर्ण द्रव्य में होती हैं और दूसरे द्रव्य के आकार निर्माण में कारण है । २०. गुण पर्याय किसे कहते हैं ? आकार से अतिरिक्त अन्य सर्व भावात्मक गुणों की पर्याय गुणपर्याय कहलाती हैं, जैसे चारित्र गुण की राग पर्याय और रस गुण की मीठी पर्याय । २१. गुण पर्याय कितने प्रकार की होती है ? दो प्रकार की - स्वभाव गुण पर्याय व विभाव गुण पर्याय । २२. स्वभाव गुण पर्याय किसे कहते हैं ? शुद्ध द्रव्यों के गुणों की पर्याय को स्वभाव गुण पर्याय कहते हैं;
SR No.010310
Book TitleJain Siddhanta Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKaushal
PublisherDeshbhushanji Maharaj Trust
Publication Year
Total Pages386
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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