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________________ २-द्रव्य गुण पर्याय १५१ ५-पर्यायाधिकार (२. द्रव्य व गुण पर्याय) ६. क्रममावी पर्याय कितने प्रकार की होती हैं ? दो प्रकार की—द्रव्य पर्याय व गुण पर्याय । ७. द्रव्य पर्याय किसे कहते हैं ? ___अनेक द्रव्यों में एकता की प्रतिपत्ति को द्रव्य पर्याय कहते हैं । ८. अनेक द्रव्यों में एकता की प्रतिपत्ति क्या ? अनेक द्रव्यों के मिलकर परस्पर एकमेक हो जाने से जो संयोगी द्रव्य बनता है उसे एक द्रव्यरूप ग्रहण करना ही अनेकता में एकता की प्रतिपत्ति है; जैसे ताम्बे व जस्ते के संयोग से उत्पन्न एक पीतल नाम का द्रव्य । ६. द्रव्य पर्याय कितने प्रकार की होती है ? दो प्रकार की एक समान जातीय दूसरो असमान जातीय । १०. समान जातीय द्रव्य पर्याय किसे कहते हैं ? अनेक परमाणुओं के संयोग से उत्पन्न स्कन्ध समान जातीय द्रव्य पर्याय है; क्योंकि उसके कारणभूत मूल परमाणु सब एक ही पुद्गल जाति के हैं। असमान जातीय द्रव्य पर्याय किसे कहते हैं ? । जीव पुद्गल के संयोग से उत्पन्न नर नारकादि पर्याय असमान जातीय द्रव्य पर्याय हैं, क्योंकि उसके कारणभूत मूल जीव व पुद्गल भिन्न जातीय द्रव्य हैं। अन्य प्रकार के द्रव्य पर्याय किसे कहते हैं ? द्र व्य के आकार की अवस्थाओं को, अथवा उसकी गमनागमन रूप क्रिया को अथवा प्रदेश परिस्पन्दन को द्रव्य पर्याय कहते हैं। १३. आकार आदि को द्रव्य पर्याय कैसे कहते हैं ? क्योंकि गुणों का आश्रयभूत द्रव्य क्षेत्रात्मक है इसलिये उसके क्षेत्र या प्रदेशों की सर्व अवस्थायें द्रव्य पर्यायें कहलायेंगी, भले ही वह उनकी रचना विशेष हो या क्रिया व परिस्पन्दन ।
SR No.010310
Book TitleJain Siddhanta Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKaushal
PublisherDeshbhushanji Maharaj Trust
Publication Year
Total Pages386
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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