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________________ २/५ पर्यायाधिकार (१ सहभावी व क्रमभावी पर्याय) १. पर्याय किसे कहते हैं ? द्रव्य के विशेष को पर्याय कहते है। २. पर्याय व विशेष कितने प्रकार के होते हैं ? दो प्रकार के सहभावी व क्रमभावी । अथवा तिर्यक् विशेष व ऊर्ध्व विशेष ३. सहभावी व क्रमभावी विशेष अर्थात क्या ? सर्व अवस्थाओं में एक साथ रहने से गुण सहभावी विशेष हैं __और क्रमपूर्वक आगे पीछे होने से पर्याय क्रमभावी विशेष हैं। ४. तिर्यक व ऊर्ध्व विशेष अर्थात क्या ? । जिनका काल एक हो पर क्षेत्र भिन्न ऐसे विशेष तिर्यक विशेष हैं; जैसे द्रव्य की अपेक्षा एक जाति के अनेक द्रव्य, क्षेत्र की अपेक्षा एक द्रव्य के अनेक प्रदेश, भाव की अपेक्षा एक द्रव्य के अनेक गुण । जिनका क्षेत्र एक हो पर काल भिन्न ऐसे विशेष ऊर्ध्व विशेष हैं; जैसे द्रव्य की अपेक्षा एक ही जीव की आगे पीछे होने वाली नर नारकादि व्यञ्जन पर्यायें; और भाव की अपेक्षा एक ही गुण की क्रमवर्ती अर्थ पर्यायें।। ५. आगम में तो अवस्थाओं को ही पर्याय कहा है ? द्रव्य, गुण व पर्याय तीनों प्रकार के विशेष ही पर्याय शब्द वाच्य हैं, पर रूढि वश केवल अवस्थाओं के लिये ही पर्याय शब्द प्रयुक्त हुआ है।
SR No.010310
Book TitleJain Siddhanta Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKaushal
PublisherDeshbhushanji Maharaj Trust
Publication Year
Total Pages386
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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