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________________ २- क्रव्य गुण पर्याय १३१ ( ८. दर्शनोपयोग) (१४३) दर्शन चेतना ( दर्शनोपयोग ) किसको कहते हैं ? जिसमें महासत्ता ( सामान्य का) प्रतिभास ( निराकार झलक ) हो उसको दर्शनचेतना या दर्शनोपयोग कहते हैं (१४४) महासत्ता किसको कहते हैं ? ४ - जोव गुणाधिकार समस्त पदार्थों के अस्तित्व को ग्रहण करने वाली सत्ता को महासत्ता कहते हैं; जैसे--सर्व पदार्थ सत् की अपेक्षा सामान्य है । १४५. दर्शनोपयोग के कितने लक्षण प्रसिद्ध हैं ? चार हैं - सामान्य प्रतिभास, निराकार प्रतिभास, निर्विकल्प प्रतिभास और अन्त चित्प्रकाश । १४६. सामान्य प्रतिभास से क्या समझे ? 'मैं इसको जानता हूँ' अथवा 'यह ऐसा हैं' 'वह वैसा है' इत्यादि विकल्प जिस उपयोग में नहीं होते उसे सामान्य प्रतिभास कहते हैं; जैसे - प्रतिविम्बित दर्पण में प्रतिबिम्बों की ओर लक्ष्य न करके केबल दर्पण की स्वच्छता की ओर लक्ष्य करना । अथवा ज्ञेयकारों से रहित केवल चेतना प्रकाश की अन्तप्रतीति सामान्य प्रतिभास है । १४७ निराकार व निर्विकल्प प्रतिभास से क्या समझे ? ज्ञेयाकारों से रहित होने से वह उपरोक्त प्रतिभास हो सरोकार है, और ज्ञाता ज्ञान ज्ञेय के अथवा ज्ञेय की विशेषताओं के विकल्पों से शून्य होने के कारण वही निर्विकल्प है । १४८. अत्तचित्प्रकाश से क्या समझे ? चेतन प्रकाश की इस प्रतीति में उसकी वृत्ति अन्तर्मुखी होने से वही अन्तर्चित्प्रकाश है । अथवा स्वच्छता का सामान्य प्रतिभास ही अन्तरात्मा का स्वरूप है, इसलिये वह अन्तचि - प्रकाश है ।
SR No.010310
Book TitleJain Siddhanta Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKaushal
PublisherDeshbhushanji Maharaj Trust
Publication Year
Total Pages386
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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