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________________ २-व्य गुण पर्याय ७८ २-द्रव्याधिकार प्रमाण होते हैं, अर्थात अत्यल्प असंख्यात प्रमाण हैं । १७७. सब द्रव्य तो आकाश में ठहरे हुए हैं, पर आकाश किसमें ठहरा हआ है? आकाश स्वयं अपने में ठहरा हुआ है। (६. काल द्रव्य) (१७८) काल द्रव्य किसे कहते हैं ? जो जीवादि द्रव्यों के परिणमन में सहकारी हो उसे काल द्रव्य कहते हैं; जैसे कुम्हार के चाक को घूमने के लिये लोहे की कीली। १७६. परिणमन किसे कहते हैं ? प्रतिक्षण द्रव्य के गुणों में जो भीतर ही भीतर सूक्ष्म परिवर्तन होता रहता है, वह परिणमन कहलाता है। जैसे कि आम का रूप गुण धीरे धीरे भीतर भीतर ही पीलेपने को प्राप्त होता रहता है, अथवा यह स्तम्भ प्रतिक्षण भीतर ही भीतर क्षीण हो रहा है। १८०. काल द्रव्य का आकार कैसा? एक परमाणु की भांति काल द्रव्य एक प्रदेशी है। १८१. एक परमाणु जितना बड़ा दूसरा द्रव्य कौन सा है ? कालाणु। (१८२) काल द्रव्य कितने हैं और उनकी स्थिति कहां है ? लोकाकाश के जितने प्रदेश हैं उतने ही कालद्रव्य (कालाणु) हैं। और लोकाकाश के एक एक प्रदेश पर एक एक कालाणु स्थित है। १८३. क्या कालाणु भी अपने स्थान से अन्य स्थान पर जा आ सकता नहीं, कालाणु में क्रियावती शक्ति नहीं है ।
SR No.010310
Book TitleJain Siddhanta Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKaushal
PublisherDeshbhushanji Maharaj Trust
Publication Year
Total Pages386
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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