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________________ ७७ १७०. २-व्रव्य गुण पर्याय २-व्याधिकार प्रदेश कहते हैं। प्रवेश आकाश में ही होते हैं या अन्य द्रव्यों में भी ? आकाशवत् ही अन्य द्रव्यों में भी जानना, क्योंकि वे भी आकाश को अवगाह करके रहते हैं। १७१. क्या प्रदेश परमाणुवत् पृथक पृथक होते हैं ? नहीं, प्रदेश नाम का कोई पृथक पदार्थ नहीं होता, बल्कि द्रव्यों की लम्बाई चौड़ाई आदि मापने के लिये एक कल्पना मात्र है। १७२. लोक व अलोक इन दोनों के रंगों में क्या अन्तर? अमूर्तीक होने के कारण दोनों ही रंग रहित हैं । १७३. लोक व अलोक इन दोनों में कौन बड़ा? अलोक अनन्त है। उसकी तुलना में लोक अणुवत् है । जैसे घर के बीच लटका छींका। १७४. एक आकाश प्रदेश पर कितनी सृष्टि है ? एक आकाश प्रदेश पर एक कालाणु, एक धर्म द्रव्य का प्रदेश, एक अधर्म द्रव्य का प्रदेश, अनन्तों परमाणु, अनन्तों सूक्ष्म स्कन्धों के कुछ कुछ प्रदेश, अनन्तों सूक्ष्म शरीरधारी जीवों के तथा उनके शरीरों के कुछ कुछ प्रदेश, एक स्थूल स्कन्ध के या एक स्थूल शरीरधारी जीव के व उसके शरीर के कुछ प्रदेश । इतनी सृष्टि एक आकाश प्रदेश पर समाई हुई है। १७५. इतने द्रव्य एक आकाश प्रदेश पर कैसे समावें? सूक्ष्म होने के कारण द्रव्य अथवा उनके प्रदेश एक दूसरे में समा कर रह सकते हैं, इसलिये कोई बाधा नहीं। स्थूल द्रव्यों में ही ऐसी बाधा सम्भव है, कि एक स्थान पर एक से अधिक न रह सकें। १७६. सूक्ष्म जीव कम से कम कितने प्रदेश पर आता है ? छोटे से छोटे शरीर वाला जीव भी असंख्यात प्रदेशों से कम में नहीं समा सकता। इतनी बात अवश्य है कि यह 'असंख्यात', लोकाकाश के कुल असंख्यात जो प्रदेश उसके असंख्यातवें भाव
SR No.010310
Book TitleJain Siddhanta Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKaushal
PublisherDeshbhushanji Maharaj Trust
Publication Year
Total Pages386
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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