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________________ २५८ ] जैन सिद्धांतसंग्रह । (२०) मक्सीपार्श्वनाथ पूजा । दोहा - श्री पास फमेशजी, शिखर शीर्ष शिवचार | यहां पूजते मावसे, थापनकर त्रयवार i ॐ ह्रीं श्रीमक्सीपार्श्व जिन अत्र अवतर अवतर सम्वौषटाहाननं । मत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः स्थापनं ॥ अत्र मम सन्नहितो भव भव वपट् सन्निविकरणं ॥ • अथाष्टकं । लै निर्मल नीर सुखान, प्राशुक ताहि करों । मन वच तन कर वर आन, तुम ढिग धार घरों ॥ श्री मक्सी पारसनाथ, मन बच ध्यावत हों । मम जन्म जरामृत्यु नाथ, तुम गुण गावत हों ॥ ॐ ह्रीं श्री मक्ष्मीपाश्र्वनाथनिनेन्द्रेभ्यो मलं ॥ १ ॥ पिस च दनसार सुवास, केसर ताहि मिले । १ मैं पूजों चरण हुकास, मनमें आनन्द ले || श्री मक्सी पारसनाथ, मन चच ध्यावतहों । मम मोहाताप विनाश, तुम गुण गावत हों | सुगंधं ॥ २ ॥ सन्दुक उज्ज्वक अति आन, तुम ढिग पूज्य घरों । मुक्ताफलके सन्मान. लेकर पूम करों ॥ श्रीमक्सी पारसनाथ, मन वच घ्यावत हों । संसार वास निरवार, तुम गुण गावत हों ॥ अक्षतं ॥ १ ॥ ले - सुमन विविधि एव पूजों तुम चरणा । - हो काम विनाश देव, काम व्यथा हरणा ॥
SR No.010309
Book TitleJain Siddhanta Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSadbodh Ratnakar Karyalaya Sagar
PublisherSadbodh Ratnakar Karyalaya Sagar
Publication Year
Total Pages422
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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