SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 19
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जैनसिद्धांतसंग्रह। बख्तावरकृत पाठोंमें चैत्र सुदी ११, रामचन्द्रकृतमें चैत्र वदी अमावास्या, निर्वाण आसन खगासन, निर्वाणस्थान सम्मेदशिखर, अंतर-इनसे पैंसठलाख चौरासीहजार वर्ष घाट हजार कोटी वर्ष गए १९वें मल्लिनाथ भए। __ अरनाथ तीर्थकर, चक्रवर्ती और कामदेव तीन पदवीके धारी भए। १९-मल्लिनाथके कलशका चिह्न । पहला भवं विजय, जन्मनगरी मिथिलापुरी, पिताका नाम कुम्भ, माताका नाम रक्षता. गर्भतिथि चैत्र सुदी , जन्मतिथि मार्गशिर सुदी ११, जन्मनक्षत्र अश्विनी, काय ऊंची २५ धनुष, रंग सुवर्ण समान पीला, आयु ५५ हजार वर्ष, दीक्षातिथि मार्गशिरं सुदी ११, दीक्षावृक्ष अशोक, केवलज्ञान तिथि पौष वदी २, गणधर २८, निर्वाणतिथि फाल्गुण सुदी ५, निर्वाण आसन खड्डासन, निर्वाणस्थान सम्मेदशिखर, अतर-इन पाछ १४ लाख वर्ष गए ..वें श्री मुनिसुव्रतनाथ भए । ' . मालिनाथ बालब्रह्मचारी भए न विवाह किया, न राज्य किया-कुमार अवस्था में ही दीक्षा लो। २०-मुनिसुव्रतनाथके कछवेका चिह्न। . . पहला भव अपराजित, जन्मनगरी कुशाग्रनगर अथवा रानग्रही, पिताका नाम सुमित्र, माताका नाम पद्मावती, गर्भ तिथि श्रावण वदी २, जन्मतिथि वैशाख वदी १., जन्मनक्षत्र, श्रवण, काय ऊंची १० धनुष, रंग श्याम अंजनगिर समान, आयु ३० हजार वर्षे, दीक्षातिथि वैशाख वदी १०...दीक्षावृक्ष
SR No.010309
Book TitleJain Siddhanta Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSadbodh Ratnakar Karyalaya Sagar
PublisherSadbodh Ratnakar Karyalaya Sagar
Publication Year
Total Pages422
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy