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________________ जैनसिद्धांतसंग्रह। घसेहर कमती देनेका फल.-.. कर विश्वास सुद्रव्य बहु, राखा- कोई पास : .. 'झूठ बोल कमती दिया, सहे नर्क बहु त्रास ॥ गुप्तमंत्र प्रगट करनेका फल- . दो.जन. बातें करत हैं, देख सनसे कोय.। कर प्रकाश हानी करत, पड़त नर्क दुःख होय ॥ चोरीका फलरस्ते चलते जिन्होंने, लूटे लोग अपार । 'नरक जाय कोल्हू पिले, और सही बहु मार ॥ चारीकी प्रेरणाका फलचोरी,मिन दूसरनते. करवाई पर प्यार । । देखो मुद्गर मारतें, नरक माहि बहु बार ॥ चोरीका माल लेनेका फलजो चोरीके मालको, जानबूझके हि । उल्टे लटकावत तिन्हें, और त्रास बहु देहिं ।। खोटा न्याय करनेका फलबैठ भूप दरवारमें, न्याय धर्म कर हीन । बिन अपराधी दण्डिया, पड़ा नर्क हो दीन ॥ उलट्यो मस्तक रोपके, रस्सी कस काय । ताऊपर मुद्गरनकी, मार पड़े अधिकाय ॥ .'चोखी वस्तु, खोटी वस्तु मिलाके बेचनेकाफ: चोखीमें खोटी मिला, कह चोखीका दाम | वेचत पाप कमाइया, पड़े नर्क दुःखधाम ॥..
SR No.010309
Book TitleJain Siddhanta Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSadbodh Ratnakar Karyalaya Sagar
PublisherSadbodh Ratnakar Karyalaya Sagar
Publication Year
Total Pages422
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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