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________________ १५० जैन कथामाला भाग ३२ सीग नीचे किये और गरदन झुकाकर कृष्ण की ओर दोड लगा दी। कृष्ण भी गाफिल नहीं थे। उन्होने क्रोधावेग मे दौडते हुए वैल के सीग कस कर पकड लिए। वृपभ की गति उसी प्रकार रुक गई जैसे कि नदी की धारा पहाड से रुक जाती है । वैल ने पीछे हटकर टक्कर देने का प्रयास किया किन्तु महावलशाली कृष्ण की मजबूत पकड ने उसे एक इच भी आगे-पीछे न हटने दिया। जब इधर-उधर न हट सका वृषभ तो पूंछ फटकारने लगा। उसके नथुनो से क्रोध की फुकारे निकलने लगी और आँखो से चिनगारियाँ । ___ अव कृष्ण ने उसकी गरदन को नीचे की ओर झटका तो बैल के पिछले दोनो पैर भूमि से ऊपर उठ गए और अगले पॉव घुटनो से मुड गए। तनिक सी मरोड से फुकारे नि श्वासो मे वदल गई । वृषभ अरिप्ट ने दम तोड़ दिया । उसे मरा जान श्रीकृष्ण ने उसके सीग छोड दिए । बैल का शव भूमि पर गिर गया। सभी ग्वाल-बाल अरिष्ट वृपभ' की मृत्यु से प्रसन्न हो गए और कृष्ण की प्रशंसा करने लगे । १ (क) भवभावना २३६८-२३७५ (ख) श्रीमद्भागवत मे अरिप्ट वृषम को वत्सामुर के नाम मे सम्बोधित किया गया है । सक्षिप्त कथानक इस प्रकार है एक दिन गाय चराते हए श्रीकृष्ण ने देखा कि एक दैत्य आया और बछडे का रुप वना कर गायो के झड मे मिल गया है । कृष्ण आँखो के इशारे से वलरामजी को दिखाते हुए इस बछडे के पाम पहुँचे और उनकी पछ तथा पिछले पैरो को पकड कर उसे आकाश मे घुमाने लगे। जब वह मर गया तो उसे कैथ के वृक्ष पर फेक दिया। दैत्य का लम्बा तगडा शरीर बहुत से कैथ वृक्षो को गिरा कर स्वय भी पृथ्वी पर गिर पड़ा। __ (श्रीमद्भागवत स्कन्ध १०, अध्याय ११, श्लोक ४१-४४) (ग) उत्तर पुराण मे अरिप्ट नाम का देव कृष्ण के बल की परीक्षा लेने के लिए बैल का रूप रखकर आया है। कृष्ण उमकी गरदन,सरोडने लगते हैं किन्तु देवकी उमे छुडवा देती है। (श्लोक ४२७-२८)
SR No.010306
Book TitleJain Shrikrushna Katha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Shreechand Surana
PublisherHajarimalmuni Smruti Granth Prakashan Samiti Byavar
Publication Year1978
Total Pages373
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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