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________________ द्रौपदी स्वयंवर ५६७ उधर राजकुमारी द्रौपदी को स्नानादि कराकर परिचारिकाओं ने सुन्दर एव बहुमूल्य वस्त्रालकारों से अलंकृत किया । सर्वप्रकार के शृगारों से मडित हुई वह साक्षात् रति प्रतीत होने लगी। उसका शरीर एक तो पहले ही गौर वर्ण वाला था ही फिर गन्धानुलेपन द्वारा वह और भी सुरभित होकर मलयाचल पर स्थित चन्दन की भाति दिखाई देने लगा। ___उसके पद्म कमल सदृश पद युगल में नूपुर तथा कटि भाग में कटि भूषण मधुर ध्वनि कर रहे थे। गले में मनोहर मोतियों की माला पड़ी थी। कानों में स्वर्ण रत्न जड़ित कुण्डल थे । आखों मे अंजन भाल पर सुहाग विन्दी उसके मंगल जीवन की कामना कर रहे थे। शिर पर रत्न मणियों से गुथित शिरोभूषण साक्षात सूर्य समान देदीप्यमान हो रहा था। उसके काले कजराले बालों की वेणी पृष्ठ भाग पर चन्दन वृक्ष पर लिपटे व्यालों की भाति लोट रही थी। कमल समान सुकोमल करों में स्वर्ण कगन तथा अगुलियों में हीर मुद्राये थीं। मुख में पड़े हुए ताम्बूल द्वारा अोष्ठ लाल मणि की तरह दमक रहे थे । अथवा यों कहें कि वे कामदेव के रागस्थान ही बने हुए थे। ___इस प्रकार सर्वाभूषणों से सुसज्जित अपनी धाय माता व सहेलियों तथा परिचारिकाओ से परिवृत एक अनुपम रथ पर सवार हो राजकुमारी द्रोपदी स्वयवर मडप में आई। उसका आगमन ऐसा प्रतीत हुआ मानो इन्द्रपुरी से विमान में बैठकर कोई देवागना भूलोक पर आई हो । उसके अन्दर प्रवेश करते ही वादकों ने मगल सूचक वाद्य बजाये । जिस की ध्वनि से वह विशाल मडप गूज उठा। जिस ने राजकुमारी के रूप दर्शन के लिए लालायित बैठे राजागण को उनकी चिर प्रतिक्षा की पूर्ति की सूचना दे दी। उनके चिरपिपासित नेत्र चकोर उसके मुखचन्द्र की ओर टकटकी लगाकर देखने लगे। राजकुमारी के अभूतपूर्व लावण्य को देख कर सभी ने दातों तले अगुली दबा ली। गज समान गति वाली कन्या द्रौपदी श्रीकृष्ण तथा पिता महाराज द्रुपदको नमस्कार करती तथा सब उपस्थित राजाओं कटाक्षपात करती हुई वेदिका पर जा पहुचो। अपने चपल नेत्रों द्वार किए गए कटाक्ष में उसे एक मदन की प्रतिमूर्ति दिखाई दी और उसी क्षण उसको ही उसने अपना हृदय अर्पण कर दिया। तभी से उसक मन उसको पाने के लिए आतुर हो उठा।
SR No.010301
Book TitleShukl Jain Mahabharat 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShuklchand Maharaj
PublisherKashiram Smruti Granthmala Delhi
Publication Year1958
Total Pages617
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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