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________________ प्रद्युम्न कुमार ४८५ मंत्री की बात सुनकर नृप को शांति मिली और वह भीम को उचित दण्ड देकर शीघ्र लौटने की प्रतीक्षा करने लगा। परन्तु काम समाप्त होने पर जब वह वापिस चला, तो भी मत्री ने चन्द्रामा से उसकी भेंट न कराई । १राजधानी पहुँचने पर वह बहुत क्रय हुआ और मत्री से बोला-"मत्री जी | आपने हमारे आदेश की अवज्ञा ___"महाराज मैंने जान बूझ कर ऐसा किया है। क्यों कि पहले उस समय हम युद्ध के लिए जा रहे थे, युद्ध में भला हम लड़ते या रानी की रक्षा करते ? आपके मन की एकाग्रता न रहती, बिना एकाग्रता के कार्य सिद्धि असभव होती है । दूसरी बात यह थी' कि यदि हम उस समय चन्द्राभा को ले आते तो अन्य राजा हमेंभी भीम की भाँति ही तस्कर आदि समझने लगते, और किसी विपत्ति के समय हमारा साथ न देते । फिर महाराज | दूसरे को विवाहिता स्त्री का अपहरण करना कितना बड़ा पाप है। ऐसे कुकृत्य के करने वाले को तो आप स्वय दण्ड दिया करते हैं। शास्त्रकारों ने कहा है "मातृवत् परदारेष" अर्थात् अन्य स्त्रियाँ माता के सदृश समझनी चाहिए। । १ग्रन्थो मे ऐसा उल्लेख भी पाया जाता है कि भीम पल्ली पति को परास्त कर जब पुन राजधानी को लौटने लगा तो मार्ग में फिर वटपुर नगर पाया। और कनकप्रभ पहले की भांति स्वर्ण मरिण आदि बहुमूल्य वस्तुएं उपहार' स्वरूप देने लगा, किन्तु मधु नप ने ये वस्तुए लेने से इन्कार करते हुए कहा कि "हमें इन वस्तुप्रो की तनिक इच्छा नहीं है ये तो राज्य कोष में ही बहुत हैं। यदि सच्चे हृदय से स्वामी भक्ति से प्रेरित होकर उपहार देने आये हो तो चन्द्राभा दे दा, हमें यही पर्याप्त भेंट है । चन्द्राभा जो कनकरथ को प्राणो से भी प्यारी थी को भला कैसे अन्य राजा के हाथ सौप सकता था, वह तो उसके पन्त पुर की, राज्य की अनुपम लक्ष्मी थी,प्रत. नाम सुनते ही नकारात्म उत्तर दे दिया । इस उत्तर को सुनकर मधु के प्राण शुष्क होने लगे, क्योकि उसने तो अपने आपको चन्द्रामा पर न्यौछावर कर रखा था। उसने दूसरी बार कनकप्रभ से याचना की, लेकिन उत्तर में निराशा अन्त में तीसरी बार मघु बलात् कनकप्रभ के राज प्रासाद से चन्द्राभा को ले गया और उसे अपनी पटरानी बना लिया। त्रि०
SR No.010301
Book TitleShukl Jain Mahabharat 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShuklchand Maharaj
PublisherKashiram Smruti Granthmala Delhi
Publication Year1958
Total Pages617
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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