________________
(७) चोरानल जलहर; जलभर चारि रनब-खुद पसु जोणि-जोश्य, श्य तिहुअरा अविलंधि-बारा जय पास सुसामि य॥६॥पचिय अठ श्रणव-तल नतिब्नर निबन्नर, रोमंचंचिय चारु-काय किनर नर सुर वर; जसु सेवहि कम कमलजुयल परकालिय कलिमलु सो तु वरात्तय सामि-पास मद मदन रिनवलु ॥७॥ जय जोश्य मग कमलनसल नय पंजर कुंजर, तिहुअण जण आणंद-चंद जुवण तय दि. गयर; जय मर मेणि वारि-वाह