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पयनु पणमामि ॥ २७ ॥ नंदिश्रयं || अ वंदिग्रयस्सा रिसि गणदेव गोदिं, तो देव वहुदिं पयन पल मिश्रस्सा | जस्स जगुत्तम सासल अस्सा, नचि वसामय पिंमिश्र याहिं ॥ देव वरचरसा बहुग्राहिं, सुरवररइ गुण पंमिययादिं ॥ ३० ॥ नासुर यं ॥ वंस सह तंतिताल मेलिए ति नरकरानिराम सद मीसए का, सुरसमापणे श्र सुद सऊ गीय पायजाल घंटियादि ॥ वलय मेद ला कलाव नेनुरानिराम सहमीसए कए थे देव नहियादि हाव नाव