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वर देव हि निनाय महुरयर सुहगिरं ॥ ५ ॥ वेद्वनं ॥ श्रजिअं जि श्रारिगणं, जि सब जयं नवो दरिनं ॥ पणमामि श्रहं पयन, पावं पसमेन मे जयवं ॥ १० ॥ रासालु6 ॥ युग्मं ॥ कुरु जय वय दत्रिपानर, नरीसरो पढमं तनुं मदा चक्कवहि जोए मदप्पन्नावो ॥ जो वावन्तरि पुरवर सहस्स वर नगर निगम जणवय वर, बत्तीसा राय वर सहसामुयाय मग्गो ॥ चनदस वर रयण नव महानिदि चनसठि सहस्स प्रवर जुवईण सुंदर,