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(२५) चुलसी हय गय रहसय सहस्स सां मी, बलव गाम कोमि सामी आ सिको जारहम्मि नयवं ॥ ११ ॥ वे द्वन ॥ तं संति संतिकरं, संतिणं सब नया ॥ संतिं शुगामि जिणं, सतिं वेदेन मे ॥१२॥ रासानंदियं ॥ यु. ग्मं । काग विदेह नरीसर, नर व' सहा मुणि वसहा ॥ नव सारय स सि सकलागण विगय तम विहुआ रया ॥ अजि नत्तम तेष गुणेहिं, म हा मुणि अमित्र वला विनल कुला ॥ पणमामि ते नव नय मूरण, जग सरणा मम सरणं ॥ १३ ॥