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(७) सीयह, किं अनिण तं चेव-देव मा मा अवहीरह. ॥ २६ ॥ तुह पत्य
न हु हो-विहल जिण जागन किं पुरण, हन मुस्किय निरुसत्तचच उकहु नस्तुयम; ते मनन निमिलेग-एन एनदि जलन सञ्चं जं तुरिकय व-सेरा किं नंवरु पचर. ॥ २॥ तिहुअण सामिय पास-नाद मा अप्पु पयासिन, कि जाउ जं दिय रुव-सरिसु न मुगन वहु जंपिन, अन्न न जिरा नन्गि तुह समो वि दखिन्नु दयासन, जश अवगनसि तुद जि-अहह कह हो हयासन. ॥२०॥ जा