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________________ हमारे तीर्थक्षेत्र २१५ अर्थात् पार्श्वनाथके समवसरणमें वरदत्तादि पाँच मुनियोंका मोक्ष हुआ। परन्तु रेसिन्दीगिरि कहाँ था, इसका कोई निर्देश नहीं है। उत्तरपुराण, पार्श्वनाथ-चरित आदि दिगम्बर कथा-ग्रन्थों में तो पार्श्वनाथके समवसरणका रोसिन्दीगिरिमें होनेका कोई उल्लेख नहीं है और न वरदत्तादि मुनियोंके मोक्ष जानेका । पं० पन्नालालजी सोनीद्वारा सम्पादित क्रियाकलापमें इस गाथाकी पहली पंक्ति 'पासस्स समवसरणे गुरुदत्तवरदत्तपंचरिसिपमुहा' इस प्रकार दी है-परन्तु यह पाठ संशयास्पद है । क्योंकि इसके पहले गुरुदत्तादिका मोक्षस्थल द्रोणगिरि बतलाया जा चुका है। साथ ही यह प्रश्न भी उठता है कि यों तो वरदत्तका मोक्षस्थान भी 'तारउर' में कह दिया गया है। संभव है एक ही नामके दो मुनिराज रहे हो। उक्त गाथाकी दूसरी पक्ति क्रिया-कलापके पाठमें 'गिरिसिंदे गिरिरासिहरे णिव्वाण गया णमो तेसिं' इस तरह है-अर्थात् गिरीशेन्द्रके शिखरसे । बम्बईके गुटकेमें भी यही पाठ दिया है । यद्यपि अत्यन्त प्रचलित पाठ 'रिस्सिंदे' ही है। फिर भी यदि यह ठीक हो तो यह हिमालयका पर्यायवाची हो सकता है । संस्कृत निर्वाणभक्तिमें 'सह्याचले च हिमवत्याप सुप्रतिष्ठे' कहकर हिमवत् पर्वतको मोक्षस्थान माना है। अब ‘शिस्सन्दे' पाट पर विचार करना चाहिए । संभवतः शुद्ध पाठ 'रिस्सद्दि' होगा जो 'ऋष्यद्रि'का प्राकृत-रूप है । परन्तु इसे श्रमणगिरिका पर्यायवाची कहना कठिन है। इस समय नैनागिर क्षेत्रको रोसन्दीगिरि बतलाया जाता है । यह स्थान मध्यप्रदेशके सागर जिलेकी ईशान सीमाके पास पन्ना रियासतमें है। नैनागिरि रेसिन्दीगिरि कैसे बन गया, यह समझमें नहीं आता । दिगम्बर जैन डिरैक्टरीके अनुसार पर्वतपर २६ और तलेटीमें ६ मन्दिर हैं । पर्वतपर मुख्य मन्दिर श्रेयान्सनाथका है, जो संवत् १७०८ का बना बतलाया गया है और उसका जीर्णोद्धार संवत् १९२१ में हुआ है । शेष सब मन्दिर १८४२ के बादके बने हुए हैं । इन मन्दिरोंमें या बाहर कोई ऐसा पुराना लेख नहीं है जिससे इसके रेसिन्दीगिरि होनेकी पुष्टि होती हो-वहाँकी सभी रचना-- सभी सृष्टि पिछले सौ डेढ़ सौ वर्षोंकी है। भैया भगवतीदासजीने निर्वाणकाण्डका संवत् १७४१ में भाषानुवाद किया
SR No.010293
Book TitleJain Sahitya aur Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathuram Premi
PublisherHindi Granthratna Karyalaya
Publication Year1942
Total Pages650
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size62 MB
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