SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 89
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जैन रत्नाकर आंक १२ का भांगा है यहाँ पहले अङ्क १ का अर्थ है एक करण एवं दूसरे अङ्क २ का अर्थ है दो योग । अर्थात् एक करण एवं दो योग से ६ भांगे हो सकते हैं जैसे :(क) (१) करूं नहीं मन से वचन से । (२) करूं नहीं मन से काया से । (३) करूं नहीं वचन से काया से । (ख) (४) कराऊं नहीं मन से वचन से । (५) कराऊं नहीं मन से काया से । (६) कराऊं नहीं वचन से काया से । (ग) (७) अनुमोदूं नहीं मन से वचन से । (८) अनुमोदूं नहीं मन से काया से । (१) अनुमोदूं नहीं वचन से काया से । आंक १३ का भांगा ३ ह आंक २१ का भांगा है - यहाँ पहले अंक १ का अर्थ है एक करण और दूसरे अंक ३ का अर्थ है तीन योग । अर्थात् एक करण तीन योग से सिर्फ ३ भांगे हो सकते हैं जैसे (क) करूं नहीं मन से, वचन से, काया से । (ख) कराऊं नहीं मन से वचन से काया से । (ग) अनुमोदूं नहीं मन से वचन से काया से । यहां पहले २ का अर्थ है दो करण एवं दूसरे अंक १
SR No.010292
Book TitleJain Ratnakar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKeshrichand J Sethia
PublisherKeshrichand J Sethia
Publication Year
Total Pages137
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy