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________________ (७२५) लनां वतरणां, फरमरजोला, जेवण,कातरणी, पाली, कांबी, चंऽथा,चित्रित पाठांनां जोडां,सोनेरी बिंब, पा नां, सूर्यकांत, उवणी, नेहरणी, ए सर्व पञ्चीश पञ्चीश तथा नाणामां सोनश्या, रूपश्या, वह फदियां, बक्कड, मुर्गा,सर्व पांच पांच करतां पच्चीश नाणां, पुस्तक पागल ढोकवां. तथा पट्टसूत्रना दोरा पच्चीश.इत्यादिक झानोप करण ढोकवां. तथा पक्वान्न, नीलां सूकां जाति जाति नां फल, नालियेर, कदली, दाडिम, शदा, साकर, खांम, अंगनूहणां, धूपधाणां, बत्र, चामर, कलश, प्रारतिमंगल, जानर, घंटा, पडह, नेरी, मृदंग, दांमियादिक, तथा शिलामय, पित्तलमय, रत्नमय, सुवर्णमय, मुक्तामय, विद्यममय, इत्यादिक धातुना न विन बिंब जरावां. ए सर्व वस्तु पांच पांच एकठी करीयें. ए देव आश्रयी कह्यु. हवे पोषधशाला करा बवी,तथा पांच दीदा महोत्सव कराववा, पांच ध्वजा रोपण, पांच कनककलश, पांच प्रतिष्ठा, पांच यात्रा, पांच वार संघपति पद, आचार्यपद, सिंहासन,त्रांवा कूमी, त्रांबाना हांमा, धोतीजोडा पच्चीश, तथा कचो ली, प्रारीसा, रशीया, दीवा, थाल, कंसाल, तिं लक, कुंमल, मुकुट, चदु, बहेरखा, कचोलां, बीजपू र, तंउल, पूगीफल, चरवला, मुहपत्ती, ए सर्व पच्चीश पच्चीश ढोकवां. संघपूजा, साधर्मिकवात्सल्य, रात्रिजा गरण, संघने वस्त्रदान, पहेरामणी, धवलगीत गान, श्राविकाने साडीनी पहेरामणी,शृंगारदान इत्यादिक
SR No.010285
Book TitleJain Prabodh Pustak 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1889
Total Pages827
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size62 MB
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