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________________ ( ७२४ ) वीश करावai, पक्वान्न चोवीश, बाजी, कूंपी, कचो ली प्रमुख पूजानां उपकरण ढोकवां च्यवन कल्या के परमेष्ठिने नमः ए जाप १००० करवो. जन्में ईते नमः एनो जाप १००० करवो, दीक्षायें नाथाय नमः एनो जाप १००० करवो. ज्ञानें सर्वज्ञाय नमः एनो जाप १००० करवो ने निर्वाणने दिवसें पारंग ताय नमः ए जाप १००० करो तथा च्यवने साधर्मि कनी वात्सल्यता. जन्में गोल घृत यापीयें. दीक्षायें टोपरा गोल वेचीयें. ज्ञाने संघपूजा ने निर्वाणने दिवसें महोटी पूजा रचावीयें ॥ · ३५ लघु पंचमी तपः - पोप ने चैत्रमास वर्डिने अन्य महीना मांहेला गमे ते महीनामां साधु, सा ध्वी, श्रावक तथा श्राविकायें लघु पंचमी तप ग्रह करी शुक्ल तथा कृष्ण पंचमीना दिवसें उपवास करतां एक वर्षमां पच्चीश पंचमीयो करवी. नजमणुं ज्ञानपंचमीना तप प्रमाणें करवुं. ३६. ज्ञान पंचमी तपः- ए तप पांच वर्ष ने पांच मास पर्यंत प्रत्येक महिनानी शुक्ल पंचमीयें न पवास करवो. तेवारें पांशठ उपवासें ए तप पूर्ण थाय. ए तप मागशिर, माघ, फाल्गुन, वैशाख, ज्येष्ठ ने पाढ, एब महीना मांहेली गमे ते मासनी युक्त पंचमीयें ग्रहण करवुं. उजमणे पञ्चीश पुस्तक, चोग ठग जोडा पच्चीश, मिशांजणां पच्चीश, उतरी, वाटी, कमजी, पाटी, नवकरवाली, पूंजणी, वासकूंपी, पीत
SR No.010285
Book TitleJain Prabodh Pustak 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1889
Total Pages827
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size62 MB
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