SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 16
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अनुगम-वस्तु के अनुरूप ज्ञान । अनुगामी अवधिज्ञान-स्वामी के साथ अन्य क्षेत्र या अन्य ___ भव में सहचारी बनने वाला प्रत्यक्ष ज्ञान । अनुग्रह-१ उपकार, २ सम्यग्दर्शन आदि की बढोतरी में सहकारिता। अनुच्छेद-परमाणु की एक द्रव्य-संख्या से दूसरी द्रव्य-संख्या का बोधक। अनुज्ञा-सूत्र और अर्थ का प्रतिपादन/अनुमोदन । अनुपसेव्य-जूठा, जूठना । अनुप्रेक्षा-चिन्तनमूलक स्वाध्याय , किसी बात का बारम्बार चिन्तवन । अनुभव-१ अनुभूति । २ विविध प्रकार के फल देने वाली कर्म-शक्ति । अनुभाग-षड्द्रव्यो की शक्ति का एक अश । अनुभाग बन्ध-कषायजन्य वृत्ति से कर्मों में शुभ या अशुभ ___ रस का प्रादुर्भाव। अनुमति विरत-हिंसक कार्य के लिए स्वीकृत न देने रूप प्रतिमा , आराधना-विशेष । अनुमान-साधन से साध्य का ज्ञान । [ ८]
SR No.010280
Book TitleJain Paribhashika Shabdakosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year
Total Pages149
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size3 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy