SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 115
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ लक्षण-लांछन ; पहचान ; विशिष्टता ; निशान । ' लधिमा-शरीर को वायु से अधिक सूक्ष्म करने वाली ऋद्धि विशेष। लन्धि ज्ञानावरण कर्म का विशेष क्षयोपशम , पदार्थ को जानने की शक्ति । लन्धिस्थान चारित्र-स्थान । लव-समय का एक सूक्ष्म परिमाण ; मुहूर्त का सतरहवाँ अंश; सात स्तोक। लाघव-ममत्व-त्याग ; क्रिया-कुशलता; लधुता ; शौचधर्म । लांछन-चिह्न ; विशिष्टता ; पहचान । लाभान्तराय-लाभ में वाधा पहुंचाने वाला कर्म । लिक्षा-आठ वालाग्रो का परिमाण । लिग-साधु के रजोहरण आदि चिह्न ; साध्य के साथ साधन का अविनाभाव सम्बन्ध ; इन्द्रिय विशेष ; पेटु के नीचे का स्थान। [ १०७ ]
SR No.010280
Book TitleJain Paribhashika Shabdakosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year
Total Pages149
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size3 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy