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________________ राजपिण्ड - राजा या राज्य द्वारा दिया गया आहार । राजर्षि - अक्षय ऋद्धि के धारक ऋषि मुनि । राजु - देखें -रज्जु | रात्रिभक्तवत -सूर्यास्त के बाद आहार सेवन का त्याग ; दिन में स्त्री सेवन का त्याग किन्तु रात्रि में छूट | रौद्र कर्म - समूहो का विनाशक । रुद्र - जिनेश्वर का नामांतर, वन्ध का मूल हेतु, परमाणु का रूक्ष - चिकनाई रहित गुण ; विकपण गुण । ध्यान परमेष्टि के स्वरूप को , रूपस्थध्यान - अरहंत का प्रतिमा में आरोपित कर किया जाने वाला ध्यान । रुपातीत ध्यान - केवल ज्ञान- शरीरी सिद्ध भगवान् का या निज शुद्धात्मा का ध्यान । रेचक - प्राणायाम का एक अग, अतिशय प्रयत्नपूर्वक उदर से धीरे-धीरे वायु को निकालना । रोष - क्रोधी पुरुष की तीव्र परिणति । - रौद्रध्यान - अशुभ ध्यान ; हिंसा एव कषायमूलक चिन्तन । [ १०६ ]
SR No.010280
Book TitleJain Paribhashika Shabdakosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year
Total Pages149
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size3 MB
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