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________________ नकली सुग्रीव | २९७ संग्रीव ने विनत होकर श्रीराम से अपनी तेरह कन्याएँ ग्रहण करने की प्रार्थना की। किन्तु राम ने उत्तर दिया - . - . नोट-इस प्रकार उत्तर पुराण के अनुसार वाली का वध लक्ष्मण के द्वारा हुआ। बाली सुग्रीव का सहोदर ही था। नकली सुग्रीव अर्थात् विद्याधर साहसगति का कोई उल्लेख नहीं है। -सम्पादक वाल्मीकि रामायण के अनुसार सुग्रीव. का पता कवन्ध राक्षस - बताता है । घटना यह है ........... - (१) वन में सीता की खोज करते हुए दोनों रघुवंशी वीर पश्चिम दिशा की ओर चले। वहाँ एक राक्षस दिखाई पड़ा । वह कवन्ध (धड़ मात्र) था। उसका मुंह उसके पेट में ही बना हुआ था। उसकी भुजाएँ बहुत लम्बी थीं। ... . - कंवन्ध दोनों भाइयों पर झपटा। दोनों ने तलवार से उसकी . भुजाएँ काट दी। तब उसने पूछा-'वीरो ! तुम कौन हो और किस अभिप्राय से वन में भटक रहे हो ?' लक्ष्मण ने अपना परिचय देकर उसे.. सीताहरण का समाचार बता दिया। . राक्षस कबन्ध ने अपना परिचय दिया--पहले मैं बड़ा पराक्रमी और बली था । लोगों को भयभीत करने के लिए मैं अपना रूप राक्षस... का-सा बना लिया करता था। एक बार मेरे उत्पात से कुपित होकर स्थूलशिरा ऋषि ने मुझे राक्षस रूप में ही रहने का शाप दे दिया। मेरी कुप्रवृत्ति और भी बढ़ गई । मैंने तपस्या करके ब्रह्माजी से दीर्घजीवी होने का वरदान प्राप्त कर लिया । - अहंकारवश मैंने देवराज इन्द्र पर : आक्रमण कर दिया। उनके वज्र प्रहार से मेरा सिर और जांघे मेरे “शरीर में ही घुस गई । तव मेरी प्रार्थना पर उन्होंने मेरा मुह पेट में ही बना दिया। अव आपने मेरी भुजा काटकर मुझे शाप से मुक्त कर दिया है। जल्दी से मेरा अन्तिम संस्कार कर दीजिए। इससे मुझे मेरा
SR No.010267
Book TitleJain Kathamala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Shreechand Surana
PublisherHajarimalmuni Smruti Granth Prakashan Samiti Byavar
Publication Year1977
Total Pages557
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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