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________________ :२: सीताहरण चन्द्रनखा को दुःखी स्थिति में देखकर लंका की सम्पूर्ण राजसभा स्तब्ध रह गई । नाच-रंग सब फीका पड़ गया। क्षुब्ध होकर लंकापति रावण ने पूछा -बहन ! क्या दुःख है ? तुम्हारी यह दयनीय दशा ? -पुत्र-शोक के कारण । -क्या हुआ तुम्हारे पुत्र को ? -लंकेश ! तुम्हारा भान्जा शम्बूक राम-लक्ष्मण के हाथों मार डाला गया। रावण स्तम्भित रह गया। उसने कहा -वहन ! मुझे पूरी वात स्पष्ट बताओ । कौन हैं यह राम-लक्ष्मण और किस प्रकार मारा गया शम्बूक ? क्या अपराध किया उसने ? चन्द्रनखा ने बताया -दण्डकारण्य में दो युवक राम और लक्ष्मण कहीं से आ गये हैं। उन्होंने मेरे पुत्र शम्बूक को निरपराध ही मार डाला। उसका कोई अपराध नहीं था, भाई ! -शम्बूक क्या कर रहा था, दण्डकारण्य में ? -तपस्या कर रहा था।
SR No.010267
Book TitleJain Kathamala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Shreechand Surana
PublisherHajarimalmuni Smruti Granth Prakashan Samiti Byavar
Publication Year1977
Total Pages557
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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