SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 36
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २४ जैनकथा रत्नकोष नाग पाचमो पसंपत्ति वखाणी ते शेवनी दीकरी सौजाग्यमंजरी सांजली तेथी ते श्री वजस्वामीने विपे अनुरागिणी थर थकी पोतानां माता पितापासें बोली के एक वरदान तमारी पासें मागवा हुं . त्यारे पितायें कह्यु के माग्य. ते वखत कन्या कहे डे के श्रीवजस्वामी विना बीजा पुरुष साथे मने वरा ववी नही. आवो बायह पोतानी कन्यानो जोइने ते नगरशेठ पोतानी कन्याने तथा एक कोटि धनने लश्ने श्रीवजस्वामी पासे जश्ने कहेवा ला ग्यो के हे प्रनो ! था कन्याने आप वरो अने कोटिधन ग्रहण करो मारी नपर प्रसन्न था त्यारे सूरीयें कह्यु के हे शेत ! ए वाक्य बोल्या ते तमो ने घटे नही. जेणे सर्व स्वधन, कनक, वगेरे त्याग कयुं वे एवा मुनिने विषयो विष समान फुःखदायक थाय ने. कहेलुं ॥ विसय विसं हालह लं, विसयविसं नक्कडं पियंताएं ॥ विसयविसायन्नंपिव, विसयविस विसोह या दुति ॥ १ ॥ कोडिसहेहिं धणसं, चयस्स गुणसुनरियाई कन्नाए ॥ न. विलुको वयर रिसी, अलोनया एस साहणं ॥ २ ॥ ए प्रकारनी वजस्वा मीनी वाणी सांजलीने ते कन्या दीक्षाने ग्रहण करती हवी. त्यां श्रीवज स्वामीना उपदेशथी अनेक जीवोयें दीक्षा ग्रहण करी ॥ २० ॥ विज्ञाय धन्याजिनधर्ममर्म, रज्यंति शय्यं नववन्न जाड्ये ॥ पी त्वा सितानावितधेनुग्धं,कोवाम्लतकार्कपयांसि पश्येत्॥२॥ अर्थः-(धन्याः के० ) सुनाग्य जाणवा. जे (जिनधर्ममर्म के०) जिन धर्मना मर्मने (विज्ञाय के० ) जाणीने (जाडये के०) जाड्यने विषे (शय्यं नववत् के०) शय्यंजवस्वामीनीपेठे (न रज्यंति के०) राग करता नथी ते धन्य ले. अर्थात् जडनावनेविपे यासक्त नथी थता ते धन्य जाणवा, शय्यं जव नट्ट मनकनो पिता दशवैकालिकनो कर्त्ता जिनप्रतिमाने जोश्ने बोध पाम्यो. अहो कष्टमहो कष्ट को तत्त्व जाणता नथी! एम साधुनां वचन सांजलीने गुरुने तत्त्व पूबीने मिथ्यात्व यागादिथकी वैराग्य पामीने प्राप्त थ ने उनयशिदा जेने एवो बतो शय्यंनवनामा आचार्य थयो. त्यां दृष्टांत कहे. (सितानावित के०) शर्करायें मिश्रित एवं (धेनुग्धं के०) गायनुं जे उध, तेने (पीत्वा के०) पान करीने (कः के०) कयो पुरुष (आम्लतक के०) खाटी बसने (वा के० ) अने (अर्कपयांसि
SR No.010250
Book TitleJain Katha Ratna Kosh Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1891
Total Pages401
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size44 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy