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________________ कर्पूरप्रकर, अर्थ तथा कथा सहित. ११ निवृत्ति न पाम्यो. कालकसौकरिक उर्लेश्यायें मरीने सातमे नरकें गयो. अने तेना पुत्र सुलसने स्वजनोयें आवी कह्यु के श्रापणे तारा पितानु पाप सर्वे वेची लेगुं त्यारें सुलसें पोताना पगपर कुवाडो मारीने सर्वने कह्यु के जेम तमे महारा बापना करेला पापने वेंचो बो तेवीरीतें या मारी वेदनाने त मो सर्व वेंची लीयो. ते सांनली सर्व मौनव्रत धारण करी बेग तेणे जीव वध न करो ॥ गाहा ॥ अवश्नतिय मरणं, नय परपीडं करंति मणसा वि ॥ जे सुवियसुग्गइ पहा, सोयरिय सु जहा सुलसो ॥ ए ॥ बोधाय सधर्मकुलोनवाः स्त्रियोऽप्युदायनस्येव पुरा प्रनावती॥ सत्तीर्थता किं जलधेर्न गंगया, सवृत्तता वा शशिनोन राकया रणांतिसत्कुलधारम्॥१॥ अर्थः-(सधर्मकुलोनवाः के०) प्रधानधर्मसहित जे कुन्न तेनेविषे ने उ त्पत्ति जेनी एवी (स्त्रियोपि के०) स्त्रीयो पग (बोधाय के) बोधनै माटे होय . केनी पेठे ? तोके (पुरा के०) पूर्वे (उदायनस्य के०) उदायन राजा नी (प्रनावतीव के०) प्रजावती नामनी स्त्री जेम बोध पामी,तेम स्त्रीयो बोध ने पामें . तेमां कां आश्चर्य नथी. केम के (जलधेः के०) समुनी (स तीर्थता के०) सत्तीर्थता ते (किं के०) गुं (गंगया के०) गंगायें करी (न के०) न थाय. अर्थात् थायज . जुवो प्रत्यक्षप्रमाण के ज्यां गंगा समुश्ने मले ने त्यां प्रियमेलकनामा तीर्थ प्रसि . (वा के०) अथवा (शशिनः के) चंइमानी (सवृत्तता के०) गोलाकारपणुं (राकया के०) पूर्णिमायें करी मु (न के०) न थाय अर्थात् थायज ३ ॥ १० ॥ __ बाहिं प्रनावती नामनी राणीनो दृष्टांत . माटे तेनी कथा कहे . वी तनय पत्तनमां मिथ्यादृष्टि उदायननामा राजा राज्य करे ले. ते एकदिवस न दीना जलमां क्रीडा करतो हतो तेवामां एक पेटी जलमांतरती नजरें पडी. तेल पोताने घेर पाणी. तेने तालां घणांज मजबूत दीधां हतां ते को थी पण उघाडी शकाणां नही. तेवामां चेटक महाराजनी दीकरी महासती प्रनावतायें पोताना धर्मनुं श्रवण करावा मांमधु ने कह्यु जे मारा मनमा सुदेव सुगुरु अने सुधर्म जो होय तो था पेटीनां ताला उघडजो. एवं कहे वाथी तुरत ताला उघडी गयां. तेमांथी अतिशयें सहवर्तमान विद्युन्माली
SR No.010250
Book TitleJain Katha Ratna Kosh Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1891
Total Pages401
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size44 MB
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