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________________ जैन जगती * परिशिष्ट उसके घर आहार ग्रहण करते हुए कहा कि अब कल से सुकाल होगा और ऐसा ही हुआ। ६२-रत्नशेखरसूरि-प्रबल जैन विद्वान थे। आपने 'श्रीपाल-चरित्र' तथा गुणस्थानकक्रमारोह' नामक अनेक उत्तम ग्रन्थ लिखे हैं । बादशाह फिरोज तुगलक आपका बड़ा सम्मान करता था। ६३-चन्द्रसूरि-ये आचार्य मागधी भाषा के प्रगाढ़ पण्डित थे। इन्होंने मागधो में संग्रहणी नाम का ग्रन्थ लिखा है। आपने 'निर्यावली सूत्र' पर भी टोका लिखी है। ये प्राचार्य तेरहवीं शताब्दी में हुए हैं। ६४-प्रसन्नचन्द्र राजर्षि- ये महान आचार्य हो चुके हैं। इन्होंने अपना राज्य अपने छोटे भाई को देकर दीक्षा ली थी। ___६५-६६-कालिकाचार्य व राजा गर्दभिल्ल-राजा गर्दमिल्ल उज्जैन का राजा और प्रसिद्ध विक्रमादित्य का पिता था। इसने सरस्वती नाम की साध्वी को जो अति सुन्दर थी और तृतीय कालिकाचार्य की बहन थी पकड़ कर अंतःपुर में डाल दी। निदान कालिकाचार्य ने प्राचार्य वेष को परित्यक्त कर अनार्य देश में सं सेना संग्रहीत की। राजा को परास्त कर साध्वी के शील की रक्षा की और उसे राजा के चंगुल से मुक्त की। ६७-इन्द्राचार्य-इन आचार्य ने 'योगविधि' नामक अद्भुत ग्रन्थ लिखा है। ६८-तिलकाचार्य-ये महान प्रसिद्ध आचार्य थे । इन्होंने २०८
SR No.010242
Book TitleJain Jagti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDaulatsinh Lodha
PublisherShanti Gruh Dhamaniya
Publication Year1999
Total Pages276
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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