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________________ ( २० ) समाज वीना' के अध्यक्ष के रूप में इन्होंने एक संगठन को जहां व्यवस्थित, सक्रिय और सार्थक बनाने का प्रयत्न किया, वहीं 'सर्वोदय प्रचारक संघ तथा सर्वोदय भवन पुस्तकालय एवं वाचनालय' वीना के संस्थापक संचालन में भी तन-मन और धन से उपाध्यक्ष के नाते अपना श्रविस्मरणीय सहयोग प्रदान किया । सर्योदय की विचारधारा से ये काफी प्रभावित हुए तथा थाने वाले जीवन में समाज की प्रगति का नया दृष्टिकोण लेकर उत्तरोत्तर कार्य करते रहे. एक निःस्वार्थ कर्मयोगी की भांति । जनवरी १९५६ इनकी इन्हीं सारी समकक्ष विशेषतात्रों के कारण सिटी कन्ट्रोल वीना का एक ओर तो इन्हें सदस्य नियुक्त किया गया, दूसरी ओर नगरपालिका के कार्यों तथा उसके . आन्तरिक ढांचे को काफी हद तक सुदृढ़ बनाने की क्षमता के कारण ८ मई ५८ को ये नगर पालिका के कार्यवाहक अध्यक्ष बनाये गये जिसके दौरान दो वर्षों तक किये गये कार्य आज भी इनकी याद दिलाते हैं । व्यापार कुशल, विनम्र और पूंजी को व्यापारिक प्रगति के लिये सर्वथा अनिवार्य न मानने वाले श्री मेहता की दक्षता बौद्धिक श्रम के सन्दर्भ में अब तक कई रूपों में प्रमाणित हो चुकी थी, साथ ही समयसमय पर इन्हें सर्व श्री मेहता नन्द -- किशोर, चिरागउद्दीन मौलवी, लोकरस साहव, डा० वी० वी० राय, रामनारायण लाल जी, आनन्द मंगल मिश्र, ज्वालाप्रसाद जोशी और अव्दुल गनीम आदि तत्कालीन प्रसिद्ध व्यक्तियों एवं कार्यकर्तायों का पूर्ण सहयोग मिला और एक सजन कार्यकर्त्ता की भांति ये निरन्तर लक्ष्य की दिशा में बढ़ते गये । याद ग्राता
SR No.010239
Book TitleJain Hindu Ek Samajik Drushtikona
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Mehta
PublisherKamal Pocket Books Delhi
Publication Year
Total Pages179
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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