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________________ ( १२१ ) ११. प्राचार्य सुहस्ति आर्य सुहस्ति भी प्राचार्य स्थूलिभद्र जी के शिष्य रत्न थे। इनका जन्म वीर सम्वत् १९१ में हुआ था और २६१ में १०० वर्ष की आयु पूर्ण करके आप उज्जैनी नगरी में स्वर्गवासी हुये। १२. आचार्य सुस्थित-- ___काकन्दी नगरी के व्याघ्रापत्य राजकुल में पाप उत्पन्न हुये थे तथा १६ वर्ष की सर्वायु पूर्ण करके वीर सम्बत् ३३६ में कुमारगिरी पर्वत पर स्वर्गवासी हुये। १३. प्राचार्य सुप्रतिबद्ध- . ये प्राचार्य सुस्थित के सगे भाई थे। १४. आचार्य इन्द्रदिन्न-- ___ इनका शुद्ध संस्कृत नाम इन्द्रदत्त प्रतीत होता है । आप कौशिक गोत्रीय ब्राह्मण थे। वीर सम्वत् २८० में आपका जन्म तथा ३७६ में स्वर्गवास हुआ। १५. आचार्य दिन्न--- आप गोतम गोत्रीय थे। १६. प्राचार्य सिंहगिरि___ आप कौशिक गोत्रीय ब्राह्मण थे। १७. आचार्य वज्रस्वामी__इनकी माता का नाम सुनन्दा था और पिता धनगिरि थे। इनका जन्म वीर सम्वत् ४६६ (३१ ई० पू०) हुआ था एवं दक्षिण के रथावर्त पर्वत पर अनशन पूर्वक वीर सम्वत् ५८४ में आप स्वर्गवासी हुए। १८. प्राचार्य बज्रसेन
SR No.010239
Book TitleJain Hindu Ek Samajik Drushtikona
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Mehta
PublisherKamal Pocket Books Delhi
Publication Year
Total Pages179
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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