SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 122
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( १२० ) हुये। ५. प्रार्य शययंभवाचार्य--- आप राजगृही के निवासी वत्स गोत्रीय ब्राह्मण थे। ८५ वर्य की आयु पूर्ण कर वीर निर्वाण संवत १८ में आपका स्वर्गवास हुआ। ६. प्रार्य यशोभद्र--- आर्य यशोभद्र तुगियायन गोत्र के विद्वान ब्रह्मण थे । वोर संवत १४८ में आप स्वर्गवासी हुये। ७. श्रार्य सम्मति विजय--- आप जाति के माठर गोत्रीय ब्राह्मण थे । वीर संवत् १५६ में ६० वर्ष की आयु में आपका स्वर्गवास हुआ । ७. आचार्य भद्रवाहु स्वामी ये प्राचीन गोत्रीय ब्राह्मण, थे प्रतिष्ठानपुर नगर में आपका जन्म हुआ था। और ७६ वर्ष की आयु में वीर संवत् १७० में आप स्वर्गवासी हुए। ६. आचार्य स्थूलिवभद्र--- ये नौवेवनन्द राजा के मंत्री शकडाल के पुत्र थे। श्राप गौतम गोत्रीय ब्राह्मण थे। आपका जन्म वीर सम्बत् ११६ में । हुया था तथा वीर संवत् २१५ में वैभारगिरि पर आपका स्वर्गवास हुना। १०. प्राचार्य महागिरि प्राचार्य महागिरि अपने समय के बड़े ही प्रभावशाली महापुरुष थे। इनका जन्म वीर सम्बत् १४५ में हुया था, वीर संवत् २४५ में १०० वर्ष की आयु पूर्ण कर दशार्णपुर (मन्दसौर, मालवा) में श्रापका स्वर्गवास हुा ।
SR No.010239
Book TitleJain Hindu Ek Samajik Drushtikona
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Mehta
PublisherKamal Pocket Books Delhi
Publication Year
Total Pages179
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy