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________________ ( ४ ) 1 इस देश में अब तक दहेज ( दायजा ) देने की चाल है । अर्थात् विवाह के समय लड़की का बाप कन्यादान के साथ २ अपनी शक्ति के अनुसार जमाई को कुछ धन भी देता है जो स्त्री-धन कहलाता और कर्म योगसे आपत्ति पड़ने पर लड़की के काम आता है. परन्तु खेद ! अतिखेद ! ! कि वह देना तो दूर रहा किन्तु कितने ही बेशरम तो देने के बदले उल्टा लेने लगे हैं और लड़की को कसाई के खूंटा बांध उसके सुख दुख का कुछ भी विचार नहीं करते, यदि सच पूंछो तो ऐसे लोग दिन दहाड़े लूटनेवाले डाकुओं के सरदार हैं क्योंकि डाकू तो गैरों को लूटकर छिपते फिरते. परन्तु ये बेशरम डाकूराज अपनी पुत्रियों का सर्वस लूटकर और उनको जन्म भर के लिये दुखी बनाकर मूंछों पर ताव देते हुए साहूकार वन बैठते है ऐसे नीचों के साहूकार पने पर हजार २ चार धिक्कार हैं | यदि अपने घर में जातिको लाडू खिलाने की शक्ति नहीं है तो दामाद को सिर्फ हल्दी का टीका लगाकर लड़की के पीले हाथ क्यों नहीं करदेते, परन्तु उन बेशरमों से ऐसा होवे कैसे ? उनको तो जातिवालों को लाडू खिलाकर भ्रष्ट करना और आप साहूकार बनना है. धिक्कार है इस खोटी बुद्धि को ! जो पुत्री तो वूढे, रोगी, कुचाल पति को पाकर इन के नाम को जन्म भर रोवे और ये टेढ़ी पगड़ी
SR No.010236
Book TitleJain Gitavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Sodhiya Gadakota
PublisherMulchand Sodhiya Gadakota
Publication Year1901
Total Pages117
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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