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________________ पुत्री का वेंचना, नीच काम है. अपनी तथा किसी दूसरे की लड़की के विवाह करने के पदले उसके पति अथवा पति के पिता ने रुपया ठहराकर लेलेना पुत्री बेचना कहाता है। ___ इस संसार में सव मनुप्य मुख के लिये रात दिन मिहनत करते और चाहते हैं कि हमारे कुटुम्ब की गुजर होने वाद कुछ धन इकहा भी हो. इम के लिये कितने लोग तो न्याय से धन कमाते हैं, परन्तु कितने पापी एनभी हैं जो लड़की को वेचकर धन इकट्ठा करते हैं. ऐने ही दुष्ट, अनानी लोगों ने लड़कियों के पैसे लेने की रीति जारी करदी है यहां तक कि कई लोग तो हजारों रुपये इमी च्यापार में कमाते हैं। - हे भाइयो ! तनिक विचार तो करो, पुत्रियों के बेचने का ये खोटा रिवाज जारी होने से उत्तम जातियां तो एक तरह से मिटही चुकी हैं, दिन २ इन जातियों की संख्या घटती जाती और बड़े २ कलंक और अन्याय होते हैं क्योंकि जब से धन के लोभियों ने यह रोजगार जारी किया, तव ने हजारों गरीव विचारे तो विना व्याही मरजाते तथा धन लेकर जो लड़कियां वुहों को बेची जाती है वहुधा उनके संतान नहीं होती और बालविधवा होकर जानि कुल की नाक कटाती हैं।
SR No.010236
Book TitleJain Gitavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Sodhiya Gadakota
PublisherMulchand Sodhiya Gadakota
Publication Year1901
Total Pages117
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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