SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 157
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ११८ जैन धर्म में तप साधना का मूल : विवेक आत्मा का सही रूप पहचानना ही साधना का विवेक है । विवेक के विना साधना चल नहीं सकती, चलती है तो सफल नहीं हो सकती । जैसे अंधा आदमी अपने मार्ग पर अकेला ठीक रूप से नहीं चल सकता । कभीचलता-चलता लड़खड़ा जाता है, कहीं ठोकर खाजाता है, और गिरता . पड़ता भी है, कहीं का कहीं पहुंच जाता है। इसीप्रकार विवेक ज्ञान के विना साधना करनेवाला जीवन में अनेक बार गिरता है, पड़ता है, भटक जाता है और सुदीर्घ काल तक चलता हुआ भी अपने सही लक्ष्य पर नहीं पहुंच पाता । अपने साध्य को प्राप्त नहीं कर सकता। साधना में विवेक की अनिवार्यता बताते हुए आचार्यों ने कहा है-.. विवेगमूलो धम्मो-धर्म का मूल विवेक है। इससे भी आगे कहा हैवियेगो . मोक्खो - विवेक ही मोक्ष है। इसका भाव है कि-साधना का मूल ज्ञान है । प्रश्न होता है-ज्ञान किसका ? उत्तर है अपने आपका ! हमारी समस्त साधना का, तप-संयम रूप आचार का अधिष्ठाता है-आत्मा !२ आत्मा ही तप का माचरण करता है, साधना : व संयम के पथ पर चलता.. है। इसलिए यह आवश्यक है कि हम साधना के अधिष्ठाता का ज्ञान प्राप्त करें ! तप के संचालक का दर्शन करें। आत्मज्ञान का अर्थ है हम अपने । अन्तर: चैतन्य का अनुभव करें। आचार्य कुन्दकुन्द का कथन है-आत्मनान कैसे प्राप्त किया जा सकता है ? उत्तर में कहा है---आत्म-प्रज्ञा द्वारा अर्थात् जड और चेतन के भेद विज्ञान द्वारा ही आत्मा का ज्ञान, अनन्त चैतन्य का अनुभव हो सकता है । यह.शरीर, चेतन नहीं है, यह तो चेतन का क्षणिक मात्रय है । आज मिला है, कल छोड़ना है । शरीर भी पुद्गल है, पुद्गल जड़ है, भौतिक वैभव, सुख-साधन सब जड़ है, वे सब. विभाव है, विकृति है, नश्यर हैं । आत्मा स्व-भाव है, चैतन्य है, शाश्वत है । इस प्रकार का भेद- ... १ आचारांग चूगि १७१ २ जोवाहारो भष्ण मायारो दशकालिक नियुक्ति २६२ ३. कह सो धिप्पअप्पा ? पण्णाए सोउ पिप्पए अप्पा ।-समयसार २६६
SR No.010231
Book TitleJain Dharm me Tap Swarup aur Vishleshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMishrimalmuni, Shreechand Surana
PublisherMarudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur
Publication Year1972
Total Pages656
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy