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________________ Live and Let Live जीवो और जीने दो ......ACOC0.......csc.scenesce से बेमि, जेय अईया, जेय पडुप्पन्ना, जेय आगमिस्साअरिहंता भगवन्तो ते सव्वे एव माइक्खन्ति एव भासंति एव पणविति एवं परुवंति - सव्वे पाणा, सब्वे भूया, सव्वे जीवा, सव्वे सत्ता, ण हंतव्वा ण अज्जावेयव्वा ण परिघितव्वा ण परितावेयव्वा ण किलामेयव्वा, उद्दवेयव्वा, एस धम्मे सुद्धे यिए - सासए समिच्च लोयं खेयन्ने हि पवेइए । - आचारांग, अ० १, उ० १ । - .......ooo श्रमण महावीर कहते है : - " मै कहता हूँ कि जो अतीत, वर्तमान और भविष्यकाल में अरिहत भगवान् थे, हैं, और होंगे, वे सब इसी प्रकार का उपदेश, भाषण, प्रवचन और प्रतिपादन करते थे, कर रहे है और करेंगे कि :-- सभी जीवो को अपने समान भूत - जीव तथा सत्व को मत मारो, समझ कर किसी भी प्राणी गुलाम मत बनाओ, पीड़ा मत पहुँचाओ और किसी को भी सताप मत दो और न किसी को उद्विग्न करो। " यही धर्म ध्रुव है, शाश्वत है और नित्य है । 0008000.......scoes......................OODFOR अतीत की झलक oooooooo
SR No.010221
Book TitleJain Dharm
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSushilmuni
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1958
Total Pages273
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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