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________________ पर समय-समय पर एक दर्जन से अधिक वृत्तियां लिखी गई हैं जो शाकटायन व्याकरण पाणिनि ने जिन शाकटायन नामक वैयाकरणाचायं का उल्लेख किया है वह पाणिनि से पूर्व हुए थे, परन्तु जिनका शाकटायन व्याकरण आज उपलब्ध है उनका वास्तविक नाम तो है पालकीति और उनके व्याकरण का नाम है 'शब्दानुशासन' पाणिनि द्वारा बताये गये इस प्राचीन शाकटायन प्राचार्य की तरह पालकीर्ति प्रसिद्ध वैयाकरण होने से शाकटायन के समकक्ष हुए। राजा अमोघवर्ष के राज्य काल (वि. स. 871) में पालकीति यापनीय संघ के अग्रणी प्राचार्य थे। यक्षवर्मा ने शाकटायन व्याकरण की चिंतामणि टीका मे इस व्याकरण की विशेषता बताते हुए कहा है : इष्टिया पढने की जरूरत नही । सूत्रो से अलग वक्तव्य कुछ नहीं है। 'उपसंख्यानो' की ज़रूरत नही है । इन्द्र, चन्द्र आदि वैयाकरणों ने जो शब्द-लक्षण कहा वह सब इस व्याकरण में आ जाता है और जो यहां नही है वह कही भी नहीं मिलेगा । शाकटायन व्याकरण पर बहुत सी वृत्तियो की रचना हुई है। संस्कृत में अन्य जैन व्याकरणो के नाम नीचे दिये जाते हैं । क्रम सं० नाम वैयाकरण श्लोक संख्या नाम व्याकरण समय बुद्धि सागर 7000 बुद्धि सागर व्याकरण वि. स. 2 भद्रेश्वर सूरि दीपक व्याकरण 1080 12वी शती
SR No.010210
Book TitleJain Bharati
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShadilal Jain
PublisherAdishwar Jain
Publication Year
Total Pages156
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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