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________________ पावे-१३ देवतांरा, २०, २१. १६ सोलह दण्डक किण में मावे ? सन्नी में पावे ( ५ स्थावर, ३ विकलेन्द्रौ टल्या ) १७ सतरह दण्डक किण में पावे ? चक्षु दर्शन में ___ पवि (५ थावर, बेइन्द्रौ तेइन्द्रौ का टला) १८ अट्ठारह दण्डक किण में पावे ? तेज लेश्या में पावे ( ३ बिकलेन्द्रौ, नारको, तेउ, वाउ का टल्या)। १६ उगणौस दण्डक किण मे मावे? सम्यक्तौ में , पावे ( ५ थावर का टल्या)। २० बौस दण्डक किण में पावे ? अढाई दीप' बारे नौचा लोक में ( २१, २२, २३, २४ टल्या )। २१ इकवीस दण्डक किण में पावे ? नौचा लोक में पावे ( २२, २३, २४ टल्या)। २२ बाईस दण्डक किण में पावे ? कृष्ण लेश्या में पावे ( २३, २४ टल्या)। २३ तेईस दण्डक किण में पावे ? एकेन्द्रौ कौ आगत में (नार को रो एक दण्डक पहलो टल्यो)। २४ चौबीस दण्डक किण में मावे ? अबतौमें पावे ।
SR No.010206
Book TitleJain Bhajan Sangraha 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFatehchand Chauthmal Karamchand Bothra Kolkatta
PublisherFatehchand Chauthmal Karamchand Bothra
Publication Year
Total Pages193
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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