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________________ ( १३ ) ६ छव दण्डक किण में पावे ? वसकाय में नपुं सक में पावे-१, १७, १८, १६, २०, २१ । ७ सात दण्डक किण में पावे ? कोरा अचक्षु दर्शन में पावे-१२, १३, १४, १५, १६, १७, १८। ८ आठ दण्डक किण में पावे ? कोरा असन्नी में ___ पावे-१२, १३, १४, १५, १६, १७, १८, १६ । ६ नव दण्डक किण में पावे ? तिर्यंच में पावे १२ से २० ताई। १० दश दण्डक किण में पावे ? असन्नौ में पावे १२ से २१ ताई। ११ इग्यारह दण्डक किण में पावे ? नपुंसक वेद में पावे ( १३ देवता का टला)।। १२ बारह दण्डक किण में पावे ? गर्भ बिना सन्नी कृष्ण लेण्या में पावे-१ से ११ ताई, १ बाईसमों। . १३ तेरह दण्डक किंण में पावे ? सर्व देवता में पावे-२ से ११ ताई, २२, २३, २४. १४ चवदह दण्डक किण में पावे ? कोरा सन्नी __ मे पावे-१३ देवतां रा, १ नारको रो। १५ पन्द्रह दण्डक किण में पावे ? स्त्रीवेद में
SR No.010206
Book TitleJain Bhajan Sangraha 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFatehchand Chauthmal Karamchand Bothra Kolkatta
PublisherFatehchand Chauthmal Karamchand Bothra
Publication Year
Total Pages193
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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