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________________ ( १५६ ) - ५ मनुष्य में बेद कितनां पावै-असन्नी मनुष्य चौदे धानक में उपजै जोगां मे तो वेद ऐक नपुसक हो पावै छ, सन्नी मनुष्य गर्भ में उपजे जिणांमें बेद तीनोंही पावै । ६ नारको में बेद कितना पावै-ऐक नपुसक बेद हो पावै छ। ७ जलचर थलचर उरपर भुजपर खेचर यां पांच प्रकार का तिर्थचा में वेद कितना पावै-छिमोछिम उपजे ते असन्नी है जिणांमे तो बेद नपुसकही पावै छै, अनें गर्भ में उपजे ते सन्नी के जिणां में बेद तीनों ही पावैछ। ८ देवतामें बेद कितनां पावै-उत्तर-भवनपती, वाणव्यन्तर, जोतिषी, पहिला दूजा देव लोक ताई तो बेद दोय स्त्री १ पुरुष २ पावै छै, और तौजा देवलोक से खार्थ सिद्ध ताई बेद एक पुरुषही छै। ६ चौबीस दण्डक का जौवां के कर्म कितना उगणीस दण्डकका जौवांमें तो कर्म आठही पावै छै, अने मनुष्य में सात आठ तथो च्यार पावै ।
SR No.010206
Book TitleJain Bhajan Sangraha 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFatehchand Chauthmal Karamchand Bothra Kolkatta
PublisherFatehchand Chauthmal Karamchand Bothra
Publication Year
Total Pages193
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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