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________________ १५८ ) । ( १४ देवता की पूछा। | সুস্ব उत्तर सन्नी के असन्नी सूक्ष्म के बादर त्रस के स्थावर _सन्नो छै वादर छै बस छ १५ गाय भैंस हाथी घोड़ा बलद पक्षी आदि पशु जानवर की पूछा। प्रश उत्तर सन्नी के सन्नी दोन ही प्रकार का छै छिमो छिमके मन नहीं, गर्भेजके मन छै ' सूक्ष्म के वादर वादर छै, नेत्र से देखया में आवै छै वस के स्थावर बस छै हालै चाल छै १ एकेन्द्री में बेद कितना पावै एक नपुंसक बद पावै '२ पृथ्वी पाणी वनस्पति अग्नी बायरो यां पांचां में । बेद कितनां मावे-१ एक नपुंसक ही छै ३ बेइन्द्री तें इन्द्री चोइन्द्रों में बेद कितनां पावै एक नांसक बेदही पावे के ४ पंचेन्द्रौमें वेद कितना पावै–सन्नी में तो तीनों हो बेद पावे है, असन्नौसें एक नपुंसक बेदहीछे
SR No.010206
Book TitleJain Bhajan Sangraha 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFatehchand Chauthmal Karamchand Bothra Kolkatta
PublisherFatehchand Chauthmal Karamchand Bothra
Publication Year
Total Pages193
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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