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________________ नैनवाल गुटका प्रथम भाग । जैन महा पर्व के दिन . न 'एक साल में ६ वार महा पार्श्व के दिन आते हैं ३ बार अठाई ३. वार दश लाक्षणी, कार्तिक शुक्ल ८ से १५ तक फाल्गुण शुक्ल ८ मी से फाल्गुण शुक्ल १५ तक आषाढ शुक्ल ८ से १५ तक यह तीन वार भठाई आती हैं । ' माघ शुक्ल ५. से १४ तक चैत्र शुक्ल ५ से १४ तक भादों शुक्ल ५ से १४ तक यह तीन वार दशलाक्षणी आती हैं देखो रत्नत्रय व्रत कथा छंद नम्बर १० और सोलहकारण दशलक्षण रत्नत्रय प्रतों की विधि में छंद नम्बर ६ में दश लाक्षणीमें भादो माघ चैत्रमें तीनों बार लिखी हैं परंतु भवार काल दोष से, माघ, चैत्र की दश लाक्षणी में पूजन पाठ का रिवाज नहीं रहा ।। 1 C7 सब से बडा पर्व का दिन भादोंमास की दशलाक्षणी में अनंत चौदश है ॥ इन दिनों में धर्मात्मा जैनी व्रत रखते हैं वेला तेला करते हैं पाठ थापते हैं मांडला पूरते हैं पंचमेरु नंदीश्वर, दशलाक्षणी आदिका पूजन करते हैं जाप, सामायिक, स्वाध्याय, दर्शन, शास्त्रश्रवण, भात्मध्यान करते हैं शील पालते हैं ब्रह्मचर्य का सेवन करते हैं दुःखित भूखितको दान बांटते हैं भोजन देते हैं वस्त्र देते हैं दवाई • वांटते हैं भूखे लावारिस पशुवों को सूकाचारा गिरवाते हैं, जानवर पक्षियों को चुगने को अन्न डलवाते हैं दाम देकर भट्टी, भाड़, तंदूर, बुचरखाना, कसाइयों की दुकान बंद कराते हैं दुशमन से क्षमा मांगद्वेष भाव को त्यागन कर मित्रता करते हैं, पाप कार्यों से हिंसा के आरंभ से बचते हैं फंदियों के जाल में. से जानवर छुड़वाते हैं जमीकंद सवजी आचार बिंदल वगैरा अभक्ष नहीं खाते, रातको भोजन पान नहीं करते रात्री को जागरणकर भगवान के गुण गाते हैं पद विनती, स्तोत्र पढते हैं मारती उतारते हैं इस प्रकार पाप कर्म की निर्जराकर धर्म का उपार्जन कर पुण्य का मंदार मरते हैं। . # :४७ श्रावक की ५३ क्रिया । ८ मूल गुण, १२ व्रत, १२ तप, १ समता भाव, ११ प्रतिमा, ३ रत्नत्रय, ४ दान, १ जल छाणन क्रिया, १ रात्रि भोजन त्याग और दिन में अन्नादिक भोजन सोधकर खाना अर्थात् छानबीन कर देख भालकर खाना ॥ नोट- यह ५३ क्रिया श्रावक के आचरणे योग्य है यानि इन ५३ क्रियाओं को ~ > ६ करने वालों श्रीवक नाम कहलाने का अधिकारी है इस में बाजे-बाजे भोले लोग
SR No.010200
Book TitleJain Bal Gutka Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanchand Jaini
PublisherGyanchand Jaini
Publication Year1911
Total Pages107
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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