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________________ हिन्दी के नाटककार का पालन कर सकती है ।" में 'चन्द्रावली' नाटक के वासना-जन्य प्रेम की झलक है। चन्द्रावली प्रेम का एक भद्दा प्रदर्शन है। भक्ति के नाम पर प्रेम की भद्दी और अस्वाभाविक खिलवाड़ जो रीतिकालीन कविता में हुई, उसी का शिष्ट रूप 'चन्द्रावली' है ।। सिवा 'सत्य हरिश्चन्द्र' और 'नील देवी' के भारतेन्दु की प्रेम प्रतिष्ठा में न कहीं परिस्थितियों की माँग है, न कर्तव्य का अनुरोध और न ही जीवन की स्वाभाविक पुकार का वास्तविक उत्तर । बस, प्रेम के नाम पर रोती है, हँसती है, मूर्छित होती है, पीड़ित होती है, छटपटाती है, सब-कुछ करती है प्रेमिका; पर सब बे-बुनियाद-निराधार और निरर्थक ! पात्र-चरित्र-विकास भारतेन्दु के प्रहसन और न्यंग्य-रचनाओं पर विकास, पात्र या चरित्र-चित्रण की दृष्टि से विचार नहीं किया जा सकता। 'वैदिकी हिंसा, हिंसा न भवति', 'विषस्य विषमौषधम्' तथा 'अंधेर नगरी' में जो पात्र आये हैं, वे एकांगी या इकरंगे हैं। हास्य में मनोवैज्ञानिक विकास की आशा नहीं की जा सकती। 'भारत-जननी' 'भारत-दुर्दशा' आदि के विषय में भी यही समझना चाहिए । ये भाव-रूपक हैं। भाव-रूपकों के पात्र कितना भी प्रयत्न करने पर मानव-जीवन की अन्तर्दशाओं को प्रकट करने में असफल हो रहेंगे। उनमें जीवन की रंगीनियाँ नहीं भरी जा सकतीं। 'विद्या सुन्दर' 'नील देवी', 'सत्य हरिश्चन्द्र' और 'चन्द्रावली' के ही चरित्र-विकास पर विचार किया जा सकता है। ___ भारतेन्दु के नाटकों के पात्र भारतीय शास्त्रीय पद्धति के अनुसार ही निर्मित हुए हैं। विशेष व्यक्ति में ऐसे गुणों की प्रतिष्ठा करना, जो सर्व साधारण के हृदय में रसानुभूति जगा सके, भारतीय शास्त्रीय दृष्टि से श्रेष्ठ चरित्रचित्रण माना जाता है। हमारे यहाँ रस का साधारणीकरण ही लेखक की सबसे बड़ी सफलता है। हरिश्चन्द्र के पात्र भी श्रादर्श चरित्र हैं। 'विद्यासुन्दर' की विद्या एक प्रतिष्ठित राजकुलोत्पन्न नायिका और सुन्दर नायक है। सुन्दर धीर ललित नायक कहा जा सकता है। 'चन्द्रावली' के कृष्ण भी धीर ललित नायक हैं। 'नील देवी' का नायक सूर्य देव धीरोदात्त नायक है और अमीर अबदुश्शरीफ शठ नायक । इसमें शठ नायक के सभी गुण हैं । 'सत्य हरिश्चन्द्र' का नायक हरिश्चन्द्र धीर प्रशान्त है इन नायकों में वे सभी-शील, धैर्य, अहङ्कार-हीनता, वीरता, निर्भयता, क्षमाशीलता, मधुरता, सौन्दर्य, कुलीनता, कर्तव्य-परायणता, न्यायप्रियता प्रादि--गुण
SR No.010195
Book TitleHindi Natakkar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaynath
PublisherAtmaram and Sons
Publication Year1952
Total Pages268
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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