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________________ रंगमंचीय नाटककार २६५ दुर्गादास गुप्त गुप्तजी अपने समय के सफल और विख्यात अभिनेता और नाटककार थे । आरम्भ में इन्होंने एक अध्यवसायी अभिनेता के रूप में रंगमंच पर प्रवेश किया । काशी में होने वाले नाटकों में यह प्रायः अभिनय किया करते थे । जब यह एक सफल अभिनेता बन गए, तब नाटक लिखने की ओर भी इनका झुकाव हुआ । ' हमीर हठ' इनका प्रसिद्ध नाटक है । इसी नाटक के सहारे यह बम्बई की एक व्यवसायी कम्पनी में प्रविष्ट हुए । इसका अभिनय भी सफल रहा और इससे इनको ख्याति भी पर्याप्त मिली। कुछ दिन बाद यह बम्बई से काशा लौट आए और वहीं इनका देहान्त हो गया । इन्होने कुल मिलाकर १२ नाटकों की रचना की -'श्रीमती मंजरी', 'भक्त तुलसीदास', 'नलदमयन्ती', 'देशोद्वार', 'थियेटर बहार', 'गरीब किसान', 'दोधारी तलवार', ‘भारत- रमणी', 'नकाबपोश', 'नवीन संगोत थियेटर', 'महामाया' और 'हमीर हठ' । ' हमीर हठ', 'महामाया', 'श्रीमती मंजरी' की अपने समय में रंगमंच और जनता में बड़ी प्रसिद्धि हुई । 'महामाया' की कथा द्विजेन्द्रलाल राय के 'दुर्गादास' की कथा से बहुत मिलनी-जुलती है। 'दुर्गादास' के दूसरे अंक के छठे दृश्य और चौथे अंक के छठे दृश्य के समान ही 'महामाया' के एक दो अंकों के कुछ दृश्य हैं। इसमें भी औरंगजेब और महाराज जसवंतसिंह की रानी महा माया, राजकुमार अजीतसिंह और दुर्गादास की कहानी है। दुर्गादास और महारानी की निर्भयता, वीरता आदि का अच्छा चित्रण इसमें है । इसमें राम महोदय कला का प्रभाव भी स्पष्ट देखा जाता है । ' हमीर हठ' में प्रसिद्ध वीर हमीर देव की वीरता, शरणागत- रक्षा, युद्ध-कौशल आदि का सुन्दर वर्णन है। दोनों ऐतिहासिक नाटक हैं । 'श्रीमती मंजरी' इनके नाटकों में सर्वोत्तम है। इसमें हिन्दू-मुसलिम - एकता की समस्या को लिया गया है। इसमें रंगमंचीय विख्यात नाटककार श्रागा हश्र के नाटकों के समान ही दो कथाएं समानान्तर रूप में चलती हैं, मंजरी, उसके दरिद्र पिता, उसके द्वारा एक मुसलमान बालक का पालनपोषण करके उसे अपना पुत्र बनाने की कामना, एक धनी का मंजरी के प्रति विलासमय प्रेम और हिन्दू-मुस्लिम प्रचलित वैमनस्य से तो प्रमुख कथा का सम्बंध है और दूसरी कथा है उधारचन्द की पुत्री चम्पा और रोकड़चन्द और नैना की । दूसरी कथा भरती-मात्र है । यह निकल जाय तो नाटक शानदार बन सकता है ।
SR No.010195
Book TitleHindi Natakkar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaynath
PublisherAtmaram and Sons
Publication Year1952
Total Pages268
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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