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________________ २५० हिन्दी के नाटककार पाते हैं। भट्टजी का हास्य काफी परिष्कृत है,वह केवल भही स्थितियाँ उत्पन्न करके नहीं हँसाते, केवल शब्दों में ही वह हास्य उम्पन्न नहीं करते, स्वाभाविक चरित्र-वैचित्र्य और अर्थ में भी वह हास्य प्रदान करते हैं। सुदर्शन हिन्दी के सुप्रसिद्ध कहानी-लेखक श्री सुदर्शन ने हिन्दी में अनेक नाटक तथा प्रहसन भी लिखे । सुदर्शन जी प्रेमचन्द-युग के कहानी-लेखक और प्रसाद-युग के नाटककार हैं । 'दयानन्द' ( १६१७ ई० ) इनका ऐतिहासिक नाटक है, 'अंजना' (१९२२ ई०) पौराणिक और 'श्रानरेरी मजिस्ट्रट' (१६२२ ई० ) प्रहसन है । 'दयानन्द' आर्य-समाज के प्रवर्तक महर्षि स्वामी दयानन्द सरस्वती के जीवन की कथा लेकर लिखा गया है। यह चरित्र-प्रधान नादक है। घटनाओं की शृङ्खला भी इसमें अच्छी है। पद्यात्मक संवाद भी हैं। नाटक में दयानन्द का कष्ट-सहिष्णु और तपस्त्री जीवन दिखाया गया है। 'अंजना' में महेन्द्रपुर के राजा महेन्द्रराय की पुत्री अंजना और राजा प्रहलाद विद्याधर के पुत्र पवन की प्रेम-कथा दी गई है। दोनों का विवाह हो जाता है। पवन विवाह से पूर्व अंजना को देखना चाहता है । अंजना की एक सखी के व्यंग्य के कारण बारह वर्ष तक उसे न देखने की प्रतिज्ञा करता है। रावण-वरुण-युद्ध में वह वरुण की सहायता को जाता है और छिपकर अपने मित्र प्रहसित के कहने से दो दिन अंजना के पास ठहर जाता है। अंजना गर्भवती हो जाती है और कलंकित कही जाकर अपनी साप द्वारा निकाल दी जाती है। माँ भी उसे नहीं रखती। वह अपनी सखी के साथ वन में जाती है। वहीं हनुमान का जन्म होता है । अन्त में अंजना की निष्कलंकता प्रकट हो जाती है। नाटक सुखांत है । कहीं-कहीं संवाद लम्बे हैं-भावुकता भी रब है। कथावस्तु काफी उलझन भरी है। पर नाटक सफल है। __ 'आनरेरी मजिस्ट्रट' एक बहुत सफल प्रहसन है । अपढ़ मैजिस्ट्रेट किस प्रकार न्याय का गला घोंटते हैं और पैसा कमाने के लिए कानून का कचूमर निकालते हैं, यह इस प्रहसन में अच्छी प्रकार दिखा दिया गया है। सुदर्शन मी हास्य की स्थितियों की रचना करने में अत्यन्त पटु हैं। सामाजिक इसका अभिनय देखते हुए हँसते-हमत लोट-पोट हो जायंगे। इसकी भाषा बोलचाल की हिन्दी है। उर्दू का इधर-उधर पुट भाषा में और भी जान डाल देता है। इसका अभिनय अत्यन्त सफलता से किया जा सकता है।
SR No.010195
Book TitleHindi Natakkar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaynath
PublisherAtmaram and Sons
Publication Year1952
Total Pages268
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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