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________________ संक्रान्ति-काल २४६ अपने युग की गम्भीरता ही आ पाई और न नाटक में वह वातावरण ही उपस्थित हो सका । पात्रों के चरित्रों और वार्तालाप में हल्कापन है। पात्र मजाकिया अधिक हो गए हैं। 'तुलसीदास' में 'रामचरित मानस' के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास का जीवन है। पर वह ऐतिहासिक आधार पर इतना नहीं, जितना किंवदन्ती पर निर्भर है। विस्मय -जनक असम्भव घटनाओं से पूर्ण है। _ 'दुर्गावती' में गोंडवाने की भारत-विख्यात महाराणी दुर्गावती की वीरता, दृढ़ता, युद्ध-कौशल, देश-भक्ति और स्वाधीनता-प्रियता का मनोहर चित्रण हुआ है । भट्ट जी के सभी ऐतिहासिक नाटकों में दुर्गावती सर्वश्रेष्ठ है। इसमें चरित्रों का विकास भी खूब हुआ है । घटनाए भी अधिकतर स्वाभाविक और ऐतिहासिक हैं । कथा में प्रवाह है; भाषा मे अोज और प्रवाह है। संवाद चुस्त चलते हुए, गतिशील और अवसर तथा चरित्रों के अनुरूप हैं। पद्यात्मक संवाद इसमें भी हैं-ये तो भट्ट जी के प्रायः सभी नाटकों में है। काल-क्रम की दृष्टि से भी यह नाटक भट्ट जी की अन्तिम रचना है-'मिस अमेरिकन' को छोड़ कर । इसलिए इसमें भट्ट जी की कला का विकास भी खूब हुआ है । यह नाटक बड़ी सरलता से अभिनीत भी किया जा सकता है। 'चुङ्गी की उम्मीदवारी', 'विवाह का विज्ञापन' और 'मिस अमेरिकन' भट्ट जी के प्रहसन हैं। पहला प्रहसन तो १६१२ ई० में लिखा गया था, श्रीवास्तव का 'उलट फेर' प्रकाशित हुअा था सन् १६१८ ई० में;तो भी दोनों के हास्य में कितना अन्तर है। भट्ट जी उस युग में भी सामाजिक व्यग्य लिखने की बात सोच सकते हैं। चुगी का चेयरमैन या सदस्य बनना उन दिनों काफी महत्त्व रखता था और इसकी उम्मीदवारी में लोग क्या-क्या ऊद्रपदाँग काम करते, कैसे अपना धन लुटाते और वोट के लिए गिड़गिड़ाते थे यह सब इस प्रहसन में प्रकट है। 'विवाह-विज्ञापन' में एक बूढ़े की विवाह-लालसा का प्यंग्यात्मक खाका खींचा गया है। बूढ़े का विवाह एक बनावटी वधू से हो जाता है और वह हाथ मल-मलकर पछताता है। 'मिस अमेरिकन' में हास्य इतना नहीं, जितनी पश्चिमी सभ्यता की खिल्ली उड़ाई गई है। श्राज शायद उस पर कोई हँसे भी नहीं । जिन दिनों भट्ट जी हास्य लिख रहे थे, उन दिनों हिन्दी में हास्य था ही कहाँ । भारतेन्दु ने जो सामाजिक और राजनीतिक व्यंग्य की परम्परा डाली, वह आगे चल ही नहीं सकी थी। उनके बाद वह नष्ट-प्रायः ही हो गई थी। उनके बाद भट्ट जी और श्रीवास्तवजी ही हास्य-लेखकों के रूप में सामने
SR No.010195
Book TitleHindi Natakkar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaynath
PublisherAtmaram and Sons
Publication Year1952
Total Pages268
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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