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________________ पृथ्वीनाथ शर्मा श्री पृथ्वीनाथ शर्मा हिन्दी के प्रसिद्ध लेखक हैं। शर्मा जी की कहानियाँ, उपन्यास, नाटक सभी रोचक होते हैं । आपकी कलम काफी मँजी हुई, भाषा साफ-सुथरी, भाव हृदय को प्रभावित करने वाले और शैली सुबोध और सरस है। 'पंखुरियाँ' नामक अापका कहानी-संग्रह पाठकों और समालोचकों द्वारा काफी पसन्द किया गया था। 'युग-सन्देश' और 'विद्र प' उपन्यास भी आपकी कलम की सफलता और कला-कुशलता के साक्षी हैं। आपने एकांकी भी अत्यन्त सफलता से लिखे हैं, जो मजे में अभिनीत किये जा सकते हैं। नाटकों के क्षेत्र में आपने अनेक सुन्दर रचनाए की हैं। 'दुविधा' सन् १९३७ ई० में निकला और 'अपराधी' सन् १९३६ ई० में । ये दोनों ही नाटक सामाजिक हैं। सामाजिक नाटकों के साथ ही आपने पौराणिक क्षेत्र में भी कलम का उपयोग किया। लचमण की पत्नी उर्मिला के चरित्र को लेकर 'उर्मिला' लिखा। 'उर्मिला' १९५० ई० में प्रकाशित हुआ । प्रकाशन-क्रम से श्राप की कलम में निखार आता गया है। टैकनीक में भी नवीनता, सुधार और गठन प्राता गया है। समाज की समस्या 'अपराधी' और 'दुविधा' के कथानक और पात्र वर्तमान सामाजिक जीवन से लिये गए हैं। पर दोनों ही नाटकों में समाज की न तो कोई तीखी तस्वीर ही उन्होंने दो और न वे वर्तमान जीवन के अस्थिर, उल मन भरे, दोहरे चरित्र वाले, विलक्षण पात्रों का निर्माण कर सके । सामाजिक जीवन को लेकर कितना न्यंग्य दिया जा सकता था-कितनो यथार्थता सामने रखी जा सकती थी-समाज के भीतर-ही-भीतर सड़ते हुए घाव पर नश्तर लगाया जा सकता था, पर शर्मा जी के दोनों ही नाटकों में इन सबका पूर्ण अभाब है । 'दुविधा' में अवश्य सुधादेवी के चरित्र में दुविधा है, पर उसकी
SR No.010195
Book TitleHindi Natakkar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaynath
PublisherAtmaram and Sons
Publication Year1952
Total Pages268
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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